Bachpan Ke 4 Dosto Ki Kahani | Four Friends Know The Story of Their Childhood Here | Real Friendship Story in Hindi – एक छोटे से गाँव में चार बचपन के दोस्त रहते थे, उनके नाम थे रूपेश, मंगेश, नितेश, राजेश. वे पहली कक्षा से एक साथ स्कूल जाते थे, अगर उन चार दोस्तों में से कोई भी स्कूल नहीं जाता था, तो उनके दोस्त भी स्कूल नहीं जाते थे. वे जहाँ जाते थे वहां वे खूब मस्ती करते थे.
लेकिन अगर उन्हें स्कूल में कोई कुछ कहता, तो वे एक साथ खड़े हो जाते, वे एक-दूसरे से इस कदर जुड़ जाते कि दूसरे लड़के उनसे बात करने से डरते. वह पहली कक्षा से दूसरी कक्षा में गए. इनमें रूपेश एक गरीब परिवार से था. और दूसरी जाति का था. लेकिन मंगेश, नितेश, राजेश यह अच्छे घर के थे और एक ही जाति के थे, फिर भी वे बिना किसी भेदभाव के एक साथ रहते थे.
हम बाकी सभी एक रिश्तों से पैदा होते है
लेकिन दोस्ती एकमात्र ऐसा रिश्ता है
जिसे हम खुद बनाते है.
Bachpan Ke 4 Dosto Ki Kahani | Real Friendship Story in Hindi
एक दिन अचानक मंगेश और रूपेश के बीच झगड़ा हो गया और तीनों ने रूपेश से बात करना बंद कर दिया. इसलिए रूपेश को अकेलापन महसूस होने लगा. सुबह 10 बजे से श्याम के 5 बजे तक स्कूल था. तब रूपेश अकेले स्कूल जाकर श्याम को घर अकेले ही लौटता था.
अगले दिन जब रूपेश स्कूल जाने के लिए घर से निकलता है, तो बीच में कुछ लड़के उसे अकेला देखकर परेशान करने लगते हैं. यह देख उसके तीनों दोस्त रूपेश को बचाने आते हैं और साथ में स्कूल जाते हैं.
जब मिल जाए चारों दोस्त एक साथ तो
हमें किसी बात का डर नही
Bachpan Ke 4 Dosto Ki Kahani | Real Friendship Story in Hindi
जैसे ही उन्होंने दूसरी कक्षा पास की, वे हर साल तीसरी, चौथी, पाँचवीं, छठी कक्षा में पास हो गए और उन्हें सातवीं कक्षा में पास होने के लिए बोर्ड परीक्षा पास करनी होती है. इसलिए वे सभी पढ़ाई में ध्यान लगाने लगे.
धीरे-धीरे जैसे ही परीक्षा नजदीक आ रही थी, सभी मन लगाकर अध्ययन करने लगे थे. और फायनली बोर्ड परीक्षा का दिन आ गया. और सभी बोर्ड की पूरी परीक्षा देकर घर लौट आये थे. उसके बाद सभी गर्मी की छुट्टियों में अपने-अपने रिश्तेदारों के गाँव चले गए. और सातवीं कक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा करने लगे.
गर्मियों की छुट्टी खत्म होने के बाद सातवीं कक्षा के परिणाम घोषित किए गए. और सभी उत्तीर्ण हुए. रुपेश एक गरीब परिवार से होने के कारन वह आठवीं कक्षा में मराठी MIDM में नामांकित किया और उसके तीनों दोस्त अपने-अपने घर में अच्छे होने के वजह से उन्होंने अंग्रेजी MIDM में दाखिला लिया और विभिन्न स्कूलों में पढ़ने गए.
चारों दोस्त एक साथ स्कूल के लिए घर से निकलते थे और कुछ दूर जाकर अपने-अपने स्कूल जाते थे और श्याम में छुट्टी के बाद एक साथ क्रिकेट खेलने जाते थे और खूब मस्ती करते थे. 8वीं पास करने के बाद वह नैथ क्लास में गए. कक्षा नैथ के बाद उसी प्रकार स्कूल में जाना, स्कूल से घर आना और फिर उसी तरह खेलने जाना – सभी ने नैथ की कक्षा पास की और 10वीं कक्षा में गए.
10वीं क्लास में जाने के बाद सभी ने अधिक से अधिक पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया. क्योंकि सभी जानते थे कि 10वीं पास करना थोड़ा मुश्किल होता है. और सभी को दसवीं पास करनी थी.
इसलिए उन्होंने खेलना, एक-दूसरे से बात करना और मस्ती करना बंद कर दिया. और फिर आखिर में उन्होंने दसवीं की परीक्षा दी. और परीक्षा देने के कुछ दिन बाद रूपेश ने कुछ छोटा-मोटा काम करना शुरू कर दिया और उसके तीन दोस्त हर साल की तरह गांव चले गए.
10वीं का परिणाम घोषित होने के बाद रूपेश को अधिक अंक नहीं मिल सके. क्योंकि रुपेश पढ़ाई में थोडा कमजोर था, इसलिए रूपेश ग्यारहवीं कक्षा में उसी मराठी माध्यम में गया. उसके तीनों दोस्तों को अच्छे अंक प्राप्त होने के कारण उसके दोस्त भी ग्यारहवीं अंग्रेजी माध्यम (Eleventh English Medium) में चले गए.
ग्यारहवीं पास करने के बाद सभी बारहवीं कक्षा में गए. बारहवीं कक्षा के परीक्षा बोर्ड के बारे में सभी जानते थे कि बारहवीं का परीक्षा बोर्ड बहुत कठिन होता है. इसलिए सभी अधिक से अधिक अध्ययन करने लगे. लेकिन बारहवीं कक्षा में रूपेश को एक लड़की पसंद करने लगी थी.
हालांकि रुपेश को यह नहीं पता था. एक दिन अचानक लड़की ने एक छोटी बच्ची के हाथ से रूपेश को एक पत्र भेजा. उस पत्र को पढ़कर रूपेश को बहुत गुस्सा आया, फिर भी रूपेश ने शांति से जाकर उसे अच्छी तरह समझाया और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगा.
बारहवीं की परीक्षा के बाद छुट्टियों के दौरान सभी दोस्त शहर की कंपनी (Company) में काम करने के लिए गांव से बाहर जाते हैं. वहां से आने के बाद बारवी का रिजल्ट आता है और सब पास भी हो जाते हैं.
लेकिन रूपेश बारवी में अच्छे अंक न मिलने से नाराज जाता है. लेकिन उसके तीनो दोस्त अच्छे मार्क्स पाकर वह काफी खुश रहते हैं. और पास होने की खुशी में चारों एक साथ पार्टी करते है.
परीक्षा पास करने के बाद उनका परिवार बहुत खुश था. लेकिन साथ ही वे एक बात से बहुत खुश हुए कि उन चारों को किसी भी चीज की लत नहीं है. इसलिए उनका परिवार चारों दोस्तों को अच्छा मानता था. पास होने के बाद वे सभी कॉलेजों में प्रवेश लेने जाते हैं. रूपेश बीए (BA) में प्रवेश लेता है और उसके तीनों दोस्तों को बीएससी (B.Sc) में प्रवेश मिलता है.
रूपेश ने अपने कॉलेज के साथ-साथ कंप्यूटर कोर्स भी पूरा किया और उन सभी ने शिक्षा में फाइनल पूरा करने के बाद नौकरी के लिए आवेदन किया. रूपेश ने एक ऑफिस में काम करना शुरू किया. और मंगेश को एक अच्छी डाटा एंट्री में नौकरी भी मिल गई. उसके बाद नितेश भी एक अच्छे स्कूल में पढ़ाने चला गया. तो इधर राजेश एक दवा कंपनी में एम.आरशिप (MR Ship) की नौकरी करने लगा. चारो दोस्त अपनी रूचि के अनुसार अपने-अपने फिल्ड में जॉब करने लगे.
हर कोई अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता था और वे भी अपने जीवन में आगे बढ़ने लगे क्योंकि उन सभी के पास शहर में अच्छी नौकरी थी इसलिए सभी का साथ मिलना होता था, लेकिन कुछ दिनों बाद मंगेश का प्रमोशन हुआ जिस कारण उनकी पोस्टिंग अपने शहर से दूर दूसरे शहर में हुई .
कुछ महीने बाद नितेश और राजेश की अलग-अलग पोस्टिंग के कारण चारों दोस्त एक-दूसरे से नहीं मिल पाए. राजेश पहले से ही एक लड़की के साथ रिलेशन में था और दोनों की शादी होने वाली थी, ये बात तो सभी दोस्तों को पता थी. और एक दिन ओ शादी की घड़ी आ गई, सभी ने उसकी शादी में खूब धूम मचाई और मस्ती की.
समय धीरे-धीरे बीतता है और कुछ महीनों के बाद रूपेश और नितेश भी शादी के बंधन में बंध जाते हैं और अपने परिवार के साथ खुशी से रहते हैं.
लेकिन यहां हमारे स्मार्ट दोस्त मंगेश को भी उसके ऑफिस गर्ल से प्यार हो जाता है. और वे एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं. लेकिन दोनों अलग-अलग जातियों के थे, इसलिए उनका परिवार उनके शादी के खिलाफ था.
लड़की के घरवालों ने लड़की को बहुत डराया धमकाया, फिर भी लड़की नहीं मानी क्योंकि वह मंगेश से बेहद प्यार करती थी. इसलिए वह सिर्फ मंगेश के साथ ही शादी करना चाहती थी. इस बात से लड़की के घरवालों को बहुत ही गुस्सा आया और वे लड़के के साथ कुछ गलत करने की सोची और उसे कई धोखे से बुलाकर उसकी हत्या कर दी गई.
मंगेश की मौत की खबर सुनकर लड़की ने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी और मंगेश की मौत की खबर सुनकर उन तीनों दोस्तों को बड़ा झटका लगा, तीनों दोस्त अपने दोस्त के लिए खूब रोते हैं. इस तरह मंगेश अपने दोस्तों को छोड़कर दुनिया से दूर चला गया.
“ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके दोस्त मंगेश की आत्मा को शांति मिले..”
दिन बीत जाते है सुहानी यादें बनकर
बाते रह जाती है कहानी बनकर
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहते है
कभी मुस्कान तो कभी आँखों का पानी बनकर
दोस्तों इस लेख में मैंने Bachpan Ke 4 Dosto Ki Kahani | Real Friendship Story in Hindi में बताई है. मुझे उम्मीद है कि आपको यह चार बचपन के दोस्तों की कहानी पसंद आई होगी. अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगो के साथ जितना हो सके शेयर करे. धन्यवाद
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