Guru Ravidas Jayanti 2024 | Know about Sant Ravidas Jayanti here – दोस्तों इस लेख में आप गुरु रविदास जयंती के बारे में कुछ खास जानकारी जानेंगे.
Guru Ravidas Jayanti 2024
सिरोमणि गुरु रविदास जी की जयंती (Guru Ravidas Jayanti) पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. इस वर्ष गुरु रविदास जी की जयंती 24 फरवरी 2024 शनिवार को माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी. और इस बार गुरु रविदास जी की 647वीं जन्म वर्षगांठ जयंती होगी. इस दिन लोग विशेष रूप से भजन, कीर्तन, जुलूस आदि निकालते हैं.
संत गुरु रविदास जी की जयंती (Guru Ravidas Jayanti) के अवसर पर लोग सड़कों पर बने मंदिरों में गीत, संगीत, दोहे, गीत गाते हैं. और इस दिन सभी लोग मंदिर में बने गुरु रविदास जी की प्रतिमा की पूजा करते हैं.
गुरु रविदास जी का जन्म और जीवन
रविदास का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व माघ पूर्णिमा के दिन काशी में हुआ था. हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु रविदास जी का जन्म वर्ष 1398 में माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था. कहा जाता है कि जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था उस दिन रविवार था. इस वजह से उनका नाम रविदास पड़ा.
गुरु रविदास (Guru Ravidas) जी के पिता जूते बनाने का काम करते थे. और रविदास भी जूते बनाने में अपने पिता की मदद किया करते थे. एक व्यवसाय के रूप में, वह इस काम को खुशी-खुशी कर जूते बनाया करते थे.
इनको साधु, संत से बहुत लगाव था. इसलिए यदि कोई साधु, संत या कोई फकीर बिना चप्पल के दरबार में आता था, तो गुरु रविदास बिना पैसे लिए उन्हें चप्पल देते थे.
Guru रविदास जी ने समाज में फैले भेदभाव का घोर विरोध किया. जीवन में वह लोगों को अच्छी सीख देते थे और कहते थे कि सभी का समान सम्मान होना चाहिए. और साथ ही सभी के प्रति प्रेम की भावना समान होनी चाहिए. ऐसे सिख लोगों को देते थे.
लेकिन गुरु रविदास जी (Guru Ravidas) को बुरे वक्त में लोगों की मदद करना और उनकी सहायता प्रदान करना काफी अच्छा लगता था.
गुरु रविदास जी की कहावत (Guru Ravidas ji’s proverb)
संत गुरु रविदास जी के द्वारा कही गई कहावत “मन चंगा तो कठौती में गंगा” सिरोमणि रविदास जी हमेशा से जाती भेद के खिलाफ थे. इसलिए उन्होंने “जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात” यह लिखा था.
संत गुरु रविदास के कार्य (Works of Sant Guru Ravidas)
सिरोमणि कवि रविदास कबीरदास के गुरु भाई थे, गुरु भाई यानी दोनों के गुरु स्वामी रामानन्द जी थे. संत रविदास का जन्म मोची कुल में हुआ था, इसलिए जूते बनाना उनका पुश्तैनी व्यवसाय था.
रविदास के लिए कार्य कैसा भी हो, उस कार्य को बिना किसी हिचकिचाहट के पूरा करना उनका स्वभाव था. वह बहुत दयालु थे, रविदास जी अपना काम पूरी लगन और ध्यान से करते थे. उन्हें इस काम में इतना मजा आता था कि वह बिना कोई कीमत लिए लोगों को जूते भेंट करते थे.
संत रविदास साधु-संतों का बहुत ही मान-सम्मान करते थे. और साथ वे ही मीरा बाई के गुरु भी थे, इसलिए उनकी इस पवित्रता को देखकर संत कबीर ने कहा था – साधुओं में रविदास संत हैं.
सिरोमणि रविदास जी को साधु, संत से बहुत लगाव स्नेह था. इसलिए यदि कोई साधु, संत या कोई फकीर बिना चप्पल के दरबार में आता था, तो गुरु रविदास बिना पैसे लिए उन्हें चप्पल दिया करते थे. ऐसे हमारे गुरु रविदास जी दयालु थे.
महत्व
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti) उनके जन्मदिन का प्रतीक है. रविदास जी जाति भेद व्यवस्था को मिटाने के अपने प्रयासों के लिए जाने जाते हैं. गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में बहुत योगदान दिया है. इसलिए गुरु रविदास कबीर जी के मित्र के रूप में जाने जाते हैं. रैदास पंथ को मानने वालों में रविदास जयंती का विशेष महत्व है.
Guru Ravidas Ji Ke Dohe
“मन चंगा तो कठौती में गंगा” इसका अर्थ है कि यदि मन शुद्ध है और जो लोग अपना काम करते हुए भगवान की भक्ति में लीन हैं, तो उनके लिए स्नान से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है.
Guru Ravidas Jayanti
“जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात”
“मन ही पूजा मन ही धूप
मन ही सेऊँ सहज सरूप”
“तुम कहियत हो जगत गुरु स्वामी
हम कहते हैं कलयुग के कामी”
“ऐसा चाहूं राज मैं मिले सबन को अन्न
छोट-बड़ो सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न”
“कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा”
“चारों वेद के करे खंडौती
जन रैदास करे दंडौती”
“कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै”
“वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की
सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की”
गुरु रविदास सामाजिक जाति भेदभाव के विरोधी थे
संत गुरु रविदास (Sant Guru Ravidas) अपने दोहों के माध्यम से समाज के लोगों में जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रहे थे. क्योंकि वे समाज में ऊँच-नीच के जातिगत भेदभाव को दूर करना चाहते थे और वे इस समाज में फैले जातिगत भेदभाव के बहुत विरोधी थे. इसलिए संत गुरु रविदास जी ने मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी थी.
संत गुरु रविदास जी के अनमोल विचार – Precious thoughts of Sant Guru Ravidas ji
Guru Ravidas Jayanti
“करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास”
इसका मतलब यह की “हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए, और साथ-साथ आने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए. क्योंकि कर्म ही हमारा धर्म है, और फल हमारा सौभाग्य है.
“रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच”
इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण छोटा या बड़ा बनता है.
निष्कर्ष
दोस्तों इस लेख में मैंने आने वाले Guru Ravidas Jayanti 2024 में इससे जुड़ी कुछ विशेष जानकारी बताई है. मुझे उम्मीद है कि आपको Guru Ravidas Jayanti पर दी गई कुछ विशेष जानकारी पसंद आई होगी. अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगो को जरुर शेयर करे. धन्यवाद.
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