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Krishna Janmashtami क्यों मनाई जाती है? जानिए इसके पीछे की कहानी, इतिहास एवं महत्व

August 9, 2022 by admin Leave a Comment

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Krishna Janmashtami Kyu Manaya Jata Hai – Krishna Janmashtami History and Significance – दोस्तों श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. जिसे लोग हर्ष और उल्लास के साथ प्रतिवर्ष मनाते हैं.

हिंदू धर्म में, भगवान कृष्ण का जन्मदिन एक उत्सव की तरह है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के पर्व को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाने की परंपरा कायम है.

लोग इस त्योहार की तैयारी काफी पहले से शुरू कर देते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी भादों मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था.

इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी बुधवार 6 सितम्बर को पड़ रही है और हर जगह लोग इस त्योहार को अलग-अलग तरह से मनाते हैं, कई लोग झूला झूलते हैं, तो कई झांकी सजाते हैं और कहीं मटका तोड़ने की परंपरा को मानते हैं.

शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था. इस दिन चंद्रमा वृष राशि में और सूर्य सिंह राशि में था.

इसलिए श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में मनाया जाता है. लोग इस त्योहार पर पूरी रात मंगल गीत गाते हैं और इस त्योहार को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं. तो आइए श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है? साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के इतिहास तथा महत्व के बारे में जानते हैं.

Krishna Janmashtami क्यों मनाई जाती है? कृष्ण जन्माष्टमी इतिहास और महत्व जाने
Krishna Janmashtami Kyu Manaya Jata Hai

कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? (Why is Krishna Janmashtami Celebrated in Hindi)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. जिसे हर साल पूरे उत्सव के साथ मनाया जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने इस पृथ्वी को पापियों के उत्पीड़न से मुक्त करने के लिए भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया था.

यह उस समय की बात है जब राजा कंस का आतंक पूरे मथुरा में था, जिससे मथुरा के लोग बहुत परेशान थे, इस स्थिति से मथुरा के लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण का रूप धारण कर देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के रुप में जन्म लिया था, ताकि अत्याचारी मामा कंस का वध कर मथुरा के लोगों को छुटकारा दिला सकें.

हालांकि श्री कृष्ण का पालन पोषण माता यसोदा तथा नंदलाल जी ने किया था, श्री कृष्ण बचपन से ही बहुत शरारती थे. जिसे मारने के लिए अत्याचारी मामा कंस ने बहुत से राक्षस भेजे थे. लेकिन श्रीकृष्ण ने उन राक्षसों का वध किया था.

जैसे-जैसे श्रीकृष्ण बड़े होते गए, अत्याचारी मामा कंस के पाप का घड़ा भरता जा रहा था. अंत में जब वह समय आ ही गया जब अत्याचारी मामा कंस के पाप का घड़ा भर गया.

तब श्रीकृष्ण ने अत्याचारी मामा कंस के आतंक से मुक्ति कराने के लिए मामा कंस का वध कर मथुरा को अत्याचारी मामा कंस के आतंक से मुक्त कराया था. तभी से श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व प्रतिवर्ष बड़े ही धूमधाम तथा हर्ष उल्लास के साथ मानते है.

 

Janmashtami कैसे मनाई जाती है?

भगवान श्री कृष्ण युगों-युगों से प्रत्येक हृदय में निवास करते हैं. जिन्हें गोविंदा, बाल गोपाल, कान्हा, गोपाल, मुरारी जैसे लगभग 108 नामों से पुकारे जाने वाले श्री कृष्ण है.

उन्होंने पृथ्वी पर एक आम इंसान की तरह जन्म लेकर पृथ्वी को दुष्टों के विनाश से बचाया. इसलिए हजारों सालों से जन्माष्टमी का त्योहार हिंदुओं द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण को भक्ति से प्रसन्न करने से संतान, समृद्धि और लंबी आयु की प्राप्ति होती है. इसलिए जन्माष्टमी का यह पर्व हर हिंदू के लिए खास दिन होता है.

इसके अलावा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के इस पर्व पर सभी हिन्दू भगवान श्रीकृष्ण को उनके जन्मदिन पर प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और मंदिरों में सजावट की जाती है और कई स्थानों पर श्रीकृष्ण रासलीला का आयोजन किया जाता है.

साथ ही हंडी फोड़ने के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. और खासकर गांवों में जन्माष्टमी के दिन भजन मदली के साथ जागरण कर कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है.

जन्माष्टमी के इस पर्व पर लड्डू-गोपाल की मूर्तियां यानी श्री कृष्ण को झूला झूलाया जाता हैं और भक्तों द्वारा मंदिरों को सजाकर भजन-कीर्तन किया जाता है. इसके साथ ही कई जगहों पर युवा इस दिन दही-हांडी तोड़ने का कार्यक्रम आयोजित कर इस पर्व को बहुत धूमधाम और हर्ष-उल्लास के साथ मनाते हैं.

 

श्री कृष्ण की कहानी (Story of Shri Krishna)

श्री कृष्ण जी का जन्म महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने और पृथ्वी पर कंस के अत्याचारों को रोकने तथा कंस का वध करने के लिए हुआ था. क्योंकि कंस एक शक्तिशाली राजा था जिसका आतंक मथुरा के लोगों पर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था.

अत्याचारी कंस के अत्याचारों को देखकर एक दिन भविष्यवाणी की गई कि कंस देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मारा जाएगा. जिससे कंस की रातों की नींद उड़ गई और उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया और देवकी और वासुदेव के जो भी बच्चे होते, कंस उन्हें मार डालता था.

Kansa के अत्याचारों से पूरे मथुरा नगर में कोहराम मच गया, वह निर्दोष लोगों को दंडित किया जा रहा था, यहां तक कि कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को बेवजह ही कालकोठरी में बंदी बना लिया था.

कंस ने अपने अत्याचारों से देवकी के सात बच्चों को पहले ही मार दिया था और भगवान विष्णु जी ने मथुरा नगर को अत्याचारों से मुक्त करने के लिए श्री कृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए.

जन्म के समय तेज बारिश होने लगी और चारों तरफ घना अंधेरा छा गया. उसी समय कंस के सैनिक वीरान हो गए. भगवान कृष्ण को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए, वासुदेव ने भगवान कृष्ण को अपने सिर पर एक टोकरी में रखकर यमुना की प्रचंड नदी को पार किया, और अपने मित्र नंद गोपाल के स्थान पर पहुँचे और माता यसोदा के पास सुला आए.

हालांकि श्रीकृष्ण का जन्म माता देवकी के गर्भ से हुआ था, लेकिन पालन-पोषण माता यसोदा और नंद गोपाल ने किया था. जब मामा कंस को इस बात का पता चला तो कंस ने कई राक्षसों को भेजा लेकिन श्री कृष्ण ने उन्हें आसानी से मार डाला.

जब कंस के अत्याचारों का घड़ा भर गया, तो श्री कृष्ण ने कंस द्वारा प्रजा को परेशान करने के सभी प्रयासों को विफल कर दिया. फिर अंत में श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद उसने लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कर दिया.

 

कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास (History of Krishna Janmashtami)

कंस के अत्याचार सहते हुए मथुरा के निवासी और कारागार में बंदी माता देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था.

भगवान श्री कृष्ण का जन्म किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हुआ था. क्योंकि उस समय मथुरा के लोगों पर दुष्ट और अत्याचारी मामा कंस का कहर अधिक हो रहा था.

मथुरा के लोगों को कंस के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के आठवें पुत्र के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया. और अपने अत्याचारी मामा कंस का वध करके उसने मथुरा के लोगों को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराया. तब से हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.

 

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व (Significance of Krishna Janmashtami)

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. यही कारण है कि यह पर्व सभी हिंदू धर्मों के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है.

भगवान श्री कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए लोग इस दिन व्रत रखते हैं और कृष्ण जन्माष्टमी पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिरों में विशेष साज-सज्जा कर भगवान के पर्व को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है.

कुछ जगहों पर दही-हांडी भी मनाई जाती है. इसके साथ ही आधी रात को भगवान के जन्मोत्सव के समय सभी लोग मंदिरों में एकत्रित होकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

 

श्री कृष्ण को ऐसे करें प्रसन्न

यदि आप भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो विधि विधान से व्रत और पूजा करनी चाहिए. अगर घर में श्रीकृष्ण की मूर्ति है तो पीले वस्त्र पहना कर धूप-दीप से मूर्ति की पूजा करें.

भगवान को फूल चढ़ाएं, चंदन लगाएं, भगवान कृष्ण को दूध, दही, मक्खन बहुत पसंद है, ऐसे में इसका प्रसाद बनाकर भगवान को अर्पित कर एक ही प्रसाद सभी को दें. जिससे भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होंगे और आप पर अपनी कृपा बनाये रखेंगे.

 

जन्माष्टमी का उत्सव 12 बजे होता है

हिन्दू धर्म और तिथि के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में हुआ था. इसीलिए मंदिरों और घरों में मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म दिन माना जाता है. रात में जन्म के बाद लड्डू गोपाल की मूर्ति को दूध से स्नान कराकर श्रीकृष्ण को नए और सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं.

उसके बाद पालने या झूले में रखकर पूजा की विधि शुरू की जाती है. जिसमें चरणामृत, पंजीरी, ताजे फल और पंचमेवा आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाता है और प्रसाद के तौर पर बांटा जाता हैं.

 

जन्माष्टमी पर दही हांडी महोत्सव (Dahi Handi Festival on Janmashtami)

श्री कृष्ण बचपन से ही बहुत नटखट और शरारती थे, उन्हें मक्खन खाना बहुत पसंद था, इसलिए वे दूसरों के घरों से मक्खन चुराकर खाते थे, कृष्ण की बाल लीला को देखकर मथुरा के सभी लोग बहुत प्रसन्न होते हैं.

जन्माष्टमी की सबसे लोकप्रिय परंपराओं में से एक दही हांडी को फ़ोड़ना है. लोग इस परंपरा को बड़े हर्ष और उल्लास के रूप में मानते हैं. लोग अपने गली मोहल्ले में दही हांडी का कॉम्पिटिशन रखते हैं.

यह परंपरा विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में अधिक देखी जाती है. जहां समूह के साथ हांडी फोड़ कार्यक्रम का आयोजन कर इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

 

Krishna Janmashtami in Mathura, Vrindavan and Gokul

मथुरा श्री कृष्ण का जन्म स्थान है. जिन्होंने अपना बचपन वृंदावन और गोकुल में बिताया, आज भी अगर विशेष रूप से देखा जाए तो मथुरा, वृंदावन और गोकुल की सड़कों पर हर गली, हर मोहल्ले में बड़े अक्षरों में भगवान कृष्ण का नाम लिखा होता है.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा जन्माष्टमी का भव्य उत्सव है, ये त्यौहार देश के सभी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. युवा लड़के और लड़कियां रासलीला के रूप में कार्य करते हैं. रासलीला में राधा और गोपी के साथ भगवान कृष्ण के रोमांटिक और प्रेमपूर्ण पक्ष को दर्शाया गया है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पूरा मथुरा को फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है. मथुरा के मुख्य मंदिर को द्वारकाधीश मंदिर कहा जाता है. वृंदावन भी भगवान कृष्ण की गतिविधियों से जुड़ा हुआ है. भगवान कृष्ण और उनकी प्यारी राधा के किस्से वृंदावन में कहीं भी सुने जा सकते हैं.

आपको बता दें कि गोकुल वह जगह है जहां भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के दिन बिताए थे, यह वह स्थान है जहाँ नंदा और यशोदा रहते थे, जहाँ जन्म के बाद कान्हा को उनके पिता वासुदेव ने सुरक्षित हिरासत में छोड़ दिया था.

कहा जाता है कि गोकुल में भी भगवान श्रीकृष्ण के कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं. जन्माष्टमी के त्योहार के दौरान मथुरा, वृंदावन और गोकुल का पूरा माहौल उनके नाम से गूंजता है, ऐसा लगता है जैसे मानो भगवान कृष्ण स्वयं उत्सव का हिस्सा बनने के लिए वहां आए हों.

 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी से संबंधित FAQs (FAQs Related to Shri Krishna Janmashtami)

Question – श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 में कब है?
Answer – Shri Krishna Janmashtami 2023 में 6 सितम्बर दिन बुधवार को है.

Question – भगवान कृष्ण के कुल कितने नाम हैं?
Answer – श्री कृष्ण के 108 नाम हैं जैसे बाल गोपाल, कान्हा, मोहन, गोविंदा, केशव, श्याम, वासुदेव, कृष्ण, देवकीनंदन, देवेश, किशोरीलाल और कई अन्य नाम…

Question – भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान कौन सा है?
Answer – मथुरा भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान है.

Question –  कृष्ण ने अपना बचपन कहाँ बिताया था?
Answer – गोकुल धाम में नंदलाल और माता यशोदा के घर श्री कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था.

Question –  कृष्ण के माता-पिता कौन थे?
Answer – देवकी और वासुदेव श्री कृष्ण के माता-पिता थे.

Question – भगवान श्री कृष्ण के मामा का नाम क्या था?
Answer – कंस मामा

Question – श्रीकृष्ण का पालन-पोषण किसने किया?
Answer – गोकुल के नंदलाल और माता यशोदा ने श्रीकृष्ण का पालन-पोषण किया.

Question – श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव की कौन सी संतान थी?
Answer – देवकी और वासुदेव की श्रीकृष्ण आठवीं संतान थी

Question – श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ था?
Answer – देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था.

 

निष्कर्ष

दोस्तों इस लेख में Krishna Janmashtami Kyu Manaya Jata Hai – Krishna Janmashtami History and Significance इससे जुडी जानकारी बताई गई है. जो इस प्रकार है –

  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
  • जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
  • श्री कृष्ण की कहानी (Story of Shri Krishna)
  • कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास
  • कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
  • श्री कृष्ण को ऐसे करें प्रसन्न
  • जन्माष्टमी का उत्सव 12 बजे होता है
  • जन्माष्टमी पर दही हांडी महोत्सव
  • Krishna Janmashtami in Mathura, Vrindavan and Gokul
  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी से संबंधित FAQs

दोस्तों इस लेख में मैंने Krishna Janmashtami Kyu Manaya Jata Hai – Krishna Janmashtami History and Significance इससे संबंधित जानकारियों से रूबरू कराया है. मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी.

अगर आपको यह जानकारी Krishna Janmashtami Kyu Manaya Jata Hai यह जानने के लिए यह लेख उपयोगी लगता है, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगों के साथ जितना हो सकें अधिक से अधिक शेयर करे. धन्यवाद.

 

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