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Mahashivratri Kaise Manaye 2024 Me | जानें यहां विधी और महत्त्व

February 7, 2025 by admin Leave a Comment

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Mahashivratri Kaise Manaye 2024 Me | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva –  महाशिवरात्रि का पर्व हर साल भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के पर्व का लोग बड़े बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस वर्ष Mahashivratri 8 मार्च 2024 शुक्रवार को मनाई जाएगी.

क्योंकि यह दिन देवताओं के भगवान महादेव का दिन है. और इस महाशिवरात्रि के पर्व पर कई स्थानों पर मेलों सहित कई कार्यक्रम भी आयोजित की जाते हैं. जहां सरदालु और लोगों की काफी भीड़ उमड़ती है.

कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा और आराधना करना चाहते हैं, और पूजा की विधि और महत्व के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख में हम आपको महाशिवरात्रि की पूजा विधि और महत्व (Mahashivratri Ki Puja Vidhi Aur Mahatva) के बारे में बताने जा रहे हैं, तो इस लेख के साथ बने रहें –

Mahashivratri Kaise Manaye | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva
Mahashivratri Kaise Manaye | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva

Mahashivratri

भारत में प्रमुख त्योहारों में से एक महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का त्योहार है. इस महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव का है. और इसी दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व विशेष रूप से फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है.

क्योंकि इस दिन भगवान शिव का कृपा पाने का बहुत अच्छा दिन होता है. अगर आप भी महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव देवो के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस महाशिवरात्रि के दिन पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

 

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पूजा से कैसे प्रसन्न करे?

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का दिन भगवान भोलेनाथ का दिन है. इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए इस दिन कई लोग तथा सरदालू भोलेनाथ की विशेष पूजा करते हैं. और मनचाहा फल प्राप्त करते है.

अगर आप भी भगवान शिव से मनोवांछित फल प्राप्त करना चाहते हैं, खासकर महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूरे दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.

लेकिन एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर आप पूजा करने जाते हैं तो जिस आसन पर बैठकर पूजा करने जा रहे हैं, वह शुद्ध होनी चाहिए. आसन पर बैठ जाएं और पानी से शुद्ध करें और साथ ही अपने शरीर को शुद्ध करें और फिर धूप और दीपक जलाकर तैयारी शुरू करें.

इस दिन विशेष रूप से शिव के सामने दीपक जलाकर स्वस्ति का पाठ करें. इसमें “स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धाश्रव, स्वस्ति न पुष विश्ववेद, स्वस्ति न स्टारक्षयो अरिष्टनेमि स्वस्ति न बृहस्पति दधातु” का पाठ करें. और भगवान बोलेनाथ से प्रार्थना करें कि हमारी पूजा स्वीकार हो. यदि कोई पूजा में कमी हो जाये तो घबराये नही भगवान से माफ़ी मांगकर प्रसन्न रहे.

स्वस्ति का पाठ करने के बाद पूजा का संकल्प लेकर विघ्नहर्ता श्री गणेश और पार्वती माता का ध्यान करके पूजा करनी चाहिए. इसके बाद आपको नंदीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकिये और सर्प की संक्षिप्त पूजा करनी चाहिए.

लेकिन इस पूजा में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि महिलाएं कार्तिकेय की पूजा न करें. एक बात और भी नोट कर लें कि भोलेनाथ को 11, 21, 51 बेलपत्र चढ़ाएं, लेकिन उस पर ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय लिखा होना चाहिए. ऐसा करने से भगवान बोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं.

Mahashivratri Kaise Manaye

 

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (Why is Mahashivratri Celebrated)

प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व बड़े ही धूमधाम से फाल्गुन माह के कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब वासुकी नाग के मुख से भयानक विष की लपटें निकलीं और वह गंगा के जल में मिलाकर एक भयानक विष बन गया.

इस महान संकट को देखकर सभी देवता, ऋषि, मुनि आदि घबराकर भगवान भोलेनाथ शंकर जी के पास गए और रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे. इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, भगवान शंकर ने अपनी योग शक्ति से उस विष को अपने गले के कंठ में धारण कर सभी संसार को भयानक विष से बचाया था.

भगवान भोलेनाथ ने देवताओं के अनुरोध पर विष को अपने गले में धारण कर लिया और उस समय चंद्रमा प्रकट हुआ और शिव ने चंद्रमा को अपने माथे पर धारण किया. भगवान भोलेनाथ द्वारा संसार की रक्षा के लिए विषपान करने की इस घटना के लिए देवताओं ने उस रात चांदनी में पूरी रात स्तुति की. और तभी से इस पर्व को शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है.

 

महाशिवरात्रि कैसे मनाएं (How to Celebrate Mahashivratri)

Mahashivratri Kaise Manaye
Mahashivratri Kaise Manaye

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर्व के दिन लोग सुबह उठकर स्नान करते हैं. और उसके बाद लोग भगवान शिव की स्तुति और पूजा करते हैं. इस दिन कई लोग शिव मंदिरों में जाते हैं और रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप जैसी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

खासकर महाशिवरात्रि के दिन लोगों की पूजा करने के लिए मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है. इसके साथ ही कई शिव भक्त और कई सरदालू भी इस दिन गंगा में स्नान करने जाते हैं. इस दिन मंदिर में आने वाले भक्त भगवान शिवजी की विशेष कृपा पाने के लिए उन्हें जल और भांग, धतूरा और फूल आदि चढ़ाते हैं.

महाशिवरात्रि की इस पर्व पर पूजा और उपवास के दौरान भक्तों को गेहूं, दाल तथा चावल आदि से दूर रहना चाहिए. इस दिन खासकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.

क्योंकि इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से तथा बेलपत्र चढ़ाने से सभी प्रकार की ग्रह समस्याओं से मुक्ति मिलती है. और मनचाह फल प्राप्त होता है.

इस दिन विशेष रूप से व्रत रखने से अविवाहित महिला को मनचाहा वरदान मिलता है और विवाहित महिला द्वारा इस व्रत को करने से उसके पति को लंबी आयु और सुख की प्राप्ति होती है. और साथ ही शिवरात्रि का व्रत रखने से मन को शांति मिलती है.

 

शिवरात्रि पर व्रत की पूजा विधि – Worship Method of Fasting on Shivratri

सूर्योदय से पहले, स्नान आदि करने के बाद निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

मिट्टी के बर्तन में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरा के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. यदि पास में कोई शिव मंदिर नहीं है तो घर में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा करनी चाहिए.

इस दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय के पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए.

शास्त्रीय रीति-रिवाजों के अनुसार “निशिथ काल” में शिवरात्रि की पूजा करना सर्वोत्तम है. हालांकि भक्त रात के चार प्रहरों में से अपनी सुविधा के अनुसार इस पूजा को कर सकते हैं.

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के अगले दिन कुछ खाकर प्रसाद ग्रहण करें. ध्यान रहे कि सही समय पर व्रत न करने से पूर्ण फल नहीं मिल पता है. इसलिए ध्यान से समय अनुसार व्रत करे.

 

महाशिवरात्रि 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त – Mahashivratri 2024 Auspicious Time for Worship

8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. इस दिन सुबह से लेकर रात्रि जागरण कर शिव पूजा का विधान है. दक्षिण भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महा शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है. उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार, फाल्गुन माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि को महा शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है.

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 09.57 से शुरू होगी और अगले दिन 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि शिवरात्रि की पूजा रात में होती है इसलिए इसमें उदयातिथि देखना जरुरी नहीं है.

निशिता काल मुहूर्त – प्रात: 12.07 – प्रात: 12.55 (9 मार्च 2024)
व्रत पारण समय – सुबह 06.37 – दोपहर 03.28 (9 मार्च 2024)

 

महाशिवरात्रि की कथा – Story of Mahashivratri

कहा जाता है कि पार्वती माता ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. और पौराणिक कथाओं के अनुसार इसका परिणाम फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है.

महाशिवरात्रि को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक बार जब ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच बड़ा विवाद हो गया की दोनों में श्रेष्ठ कौन है, जिसमें ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता होने के कारण वे स्वयं को श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे, जबकि भगवान विष्णु जी पूरी सृष्टि के पालनकर्ता होने के कारण वे स्वयं को श्रेष्ठ बता रहे थे.

तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ. तब विराट लिंग द्वारा दोनों देवताओं को यह निर्णय लिया गया कि जो इस लिंग के अंत को सबसे पहले खोजेगा, वह सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा. और ब्रह्मा जी और विष्णु जी दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग के सिरों को खोजने निकल पड़े.

लेकिन छोर न मिलने के कारण विष्णु जी वापस आ गए. और ब्रह्मा जी भी शिवलिंग की उत्पत्ति के स्रोत का पता लगाने में सफल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने आकर विष्णु को बताया कि वह अंत तक पहुंच गए हैं. जिसमें उन्होंने केतकी के फूल को भी इस बात का गवाह बताया था.

ब्रह्मा जी के असत्य बताने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और क्रोध में उन्होंने ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया, और केतकी के फूल को श्राप दिया कि केतकी के फूल उनकी पूजा में कभी भी उपयोग नहीं किए जाएंगे.

क्योंकि यह घटना फाल्गुन मास की 14 तारीख को घटित हुई थी और इसी दिन भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में स्वयं को प्रकट किया था. इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है.

 

महाशिवरात्रि का महत्व – Significance of Mahashivratri

अध्यात्म की राह पर चलने वाले साधकों के लिए महाशिवरात्रि का महत्व बेहद खास है. क्योंकि जो पारिवारिक परिस्थितियों में हैं और संसार की महत्वाकांक्षाओं में मग्न हैं. वे इस पर्व को शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं.

जो लोग सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में लीन हैं, वे महाशिवरात्रि को अपने शत्रुओं पर शिव की विजय के दिन के रूप में मनाते हैं. लेकिन, साधकों के लिए, यह वह दिन है जिस दिन वे कैलाश पर्वत में विलीन हो गए थे. वह पहाड़ की तरह स्थिर और गतिहीन हो थे.

लेकिन योगिक परंपरा में शिव की पूजा देवता के रूप में नहीं की जाती है. उन्हें आदि गुरु माना जाता है, पहला गुरु, जिनसे ज्ञान उत्पन्न हुआ. कई सहस्राब्दियों के ध्यान के बाद, एक दिन वह पूरी तरह से स्थिर हो गया.

उस दिन महाशिवरात्रि थी. उसके भीतर की सभी गतिविधियां शांत हो गईं और वह पूरी तरह से शांत हो गए थे, इसलिए साधक इस रात्रि को शांति की रात के रूप में मनाते हैं.

Mahashivratri Kaise Manaye | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva
Mahashivratri Kaise Manaye | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva

Conclusion

दोस्तों इस लेख में Mahashivratri Kaise Manaye 2024 Me | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva के बारे में विशेष कुछ जरुरी जानकारी बताई है. जो इस प्रकार है –

  • Mahashivratri
  • भगवान शिव देवों के देव महादेव को पूजा से कैसे प्रसन्न करे
  • महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
  • Mahashivratri कैसे मनाएं
  • शिवरात्रि पर व्रत की पूजा विधि
  • महाशिवरात्रि 2024 पूजा का समय
  • Mahashivratri की कथा
  • महाशिवरात्रि का महत्व

दोस्तों इस लेख में मैंने Mahashivratri Kaise Manaye 2024 Me | Jane Yahan Vidhi Aur Mahatva के बारे में कुछ विशेष जानकारी बताई है.

अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन मनोवांछित फल प्राप्त करना चाहते हैं, और महाशिवरात्रि के दिन पूजा की विधि और उनके महत्व के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख में आप महाशिवरात्रि की पूजा विधि और उनके महत्व के बारे में जान सकते हैं.

अगर आपको इस लेख में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) से जुड़ी जानकारी पसंद आई हो, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगों के साथ अधिक से अधिक शेयर करें. धन्यवाद.

 

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Filed Under: Education, Festival Tagged With: How to Celebrate Mahashivratri, How to please Lord Shiva with worship on Mahashivratri, Mahashivratri, Mahashivratri 2024, Mahashivratri 2024 Auspicious Time for Worship, Significance of Mahashivratri, Story of Mahashivratri, Why is Mahashivratri celebrated, Worship method of fasting on Shivratri

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