Mahavir Jayanti 2024 | Mahavir Jayanti Kab Hai Aur Kyo Manai Jati Hai – महावीर जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है. इस दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मदिन है.
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे. जिन्होंने अपनी 12 वर्ष की कठोर तप या तपस्या से ज्ञान प्राप्त किया था और अपनी इंद्रियों तथा भावनाओं को पूरी तरह से जीत लिया था.
कहा जाता है कि बचपन में उन्होंने बिना किसी डर के एक भयानक जहरीले सांप को अपने काबू में कर लिया था. तभी से उन्हें महावीर के नाम से पुकारा जाने लगा. महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) के इस पर्व पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है.
इसके साथ ही भारत में कई जगहों पर जैन समुदाय द्वारा अहिंसा रैलियां निकाली जाती हैं. और इस महावीर जयंती के खास मौके पर गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी दिया जाता है. तो चलिए हम आपको बताते हैं आगे 2024 में कब और क्यों Mahavir Jayanti मनाई जाती है?
महावीर जयंती कब है? (When is Mahavir Jayanti in 2024 Information)
हिंदू कैलेंडर और हिंदू धर्मों के अनुसार इस वर्ष 2024 में महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2024) आने वाले 21 अप्रिल दिन रविवार को मनाई जाएगी. जिसमें त्रयोदशी तिथि का समय कुछ इस तरह रहेगा.
त्रयोदशी तिथि शुरू 20 अप्रैल, 2024 को रात 10:41 बजे
त्रयोदशी तिथि खत्म 22 अप्रैल, 2024 को प्रातः 01:11 बजे
हिंदू धर्मों के अनुसार, इस समय अवधि के बाद और उससे पहले की जाने वाली पूजा सामान्य पूजा के समान होती है. लेकिन अगर त्रयोदशी तिथि के दौरान पूजा और आराधना की जाती है, तो कई गुना फल प्राप्त होते हैं.
महावीर जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) मनाई जाती है. सनातन धर्म के अनुसार कहा जाता है कि इसी दिन महावीर जी का जन्म हुआ था. इसलिए यह पर्व साल में मार्च या अप्रैल के महीने में आता है. और इसे भगवान महावीर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
इस दिन महावीर के जन्मदिवस पर उन्हें प्रसन्न करने के लिए जैन लोग जुलूस निकालते हैं और उनका अभिषेक कर झांकी सजाते हैं.
भगवान महावीर जी का जन्म 599 ईसा पूर्व भारत के कुंडग्राम (बिहार) में हुआ था. जैन धर्म के संस्थापक महावीर थे. इसलिए जैन धर्म के ग्रंथों में उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं का वर्णन आज भी विस्तार से देखा जा सकता है.
भगवान महावीर हिंसा के बिल्कुल खिलाफ थे. महावीर का पहला सिद्धांत था कि बिना किसी कष्ट के अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए. और उन्होंने अपने जीवनकाल में हमेशा लोगों को सच्चाई का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया.
हिन्दू धर्मों के अनुसार जैन धर्म को सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है. इसलिए महावीर जयंती को अस्तेय और ब्रह्मचर्य के सिद्धांत का ज्ञान देने का दिन माना जाता है.
महावीर स्वामी का जन्म कब और कहाँ हुआ था? (When and where was Mahavir Swami Born Information)
भगवान महावीर जी का जन्म लगभग ढाई हजार साल अर्थात ईसा से 599 वर्ष पहले भारत के कुंडग्राम (बिहार) में वैशाली गणराज्य के क्षत्रिय कुंडलपुर में राजा सिद्धार्थ और उनकी पत्नी रानी त्रिशला के गर्भ से तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस (त्रयोदशी) को हुआ था. यह वर्तमान युग में कुंडलपुर बिहार के वैशाली जिले में स्थित है.
भगवान महावीर जी को बचपन में वर्धमान कहा जाता था, उसके बाद ही उन्हें भगवान महावीर कहा जाने लगा. महावीर स्वामी धर्म के 24वें तीर्थंकर थे और उनका जीवन त्याग और तपस्या से घिरा रहा.
जाति, भेदभाव, हिंसा, पशुबलि के युग में जन्म लेकर भगवान महावीर ने संसार को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया. जब महावीर शिशुवस्था में थे, तब इंद्र और देवताओं ने उन्हें सुमरू पर्वत पर ले जाकर भगवान के जन्म का जश्न मनाया.
जब वे युवावस्था में थे तब उनका विवाह यशोदा नामक राजकुमारी से हुआ था. और जब वह 28 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई. उसके बाद उन्होंने मार्गशीष कृष्ण दशमी के दिन 30 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की.
महावीर स्वामी ने तपस्या, संयम और समता का अभ्यास किया और पंच महाव्रत के धर्म का पालन किया. उन्होंने महसूस किया था कि इंद्रियों-वस्तुओं के सुख केवल दूसरों को दुःख देने से ही प्राप्त हो सकते हैं.
इसलिए उन्होंने सबके साथ प्रेम से पेश आते हुए दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया. महावीर कहते हैं कि “धर्म सबसे उत्तम मंगल है” और वे यह भी कहते हैं कि सदाचारी लोगों के मन में धर्म का वास होता है.
महावीर स्वामी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से धर्म, सत्य, अहिंसा पर सबसे अधिक बल दिया. इसलिए उनके जीवन में त्याग, संयम, प्रेम, करुणा, विनय और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार थे. और इस प्रकार महावीर ने देश के कोने-कोने में जाकर अपना पवित्र संदेश देश-दुनिया की जनता तक पहुँचाया.
भगवान महावीर के पांच सिद्धांत (Five Principles of Lord Mahavira)
महावीर स्वामी द्वारा (जैन धर्म) के अनुसार पंचशील पांच मूलभूत सिद्धांत बताया गया है, जो किसी भी मनुष्य को सुख-समृद्धि से भरे जीवन की ओर ले जाता है. तो आइए जानते हैं उन पांच बुनियादी सिद्धांतों के बारे में.
1. अहिंसा
भगवान महावीर अहिंसा के पुजारी थे, इसलिए उनका मानना था कि इस दुनिया में जितने भी सभी त्रस जीव आदि हिंसा के अधीन नहीं होने चाहिए. उन्हें अपने रास्ते पर जाने से नहीं रोका जाना चाहिए. साथ ही उन सभी के प्रति प्रेम और समानता की भावना रखते हुए उनकी रक्षा करनी चाहिए. इस अवधि में अहिंसा के व्रत का पालन करने का जुनून अधिक होना चाहिए. क्योंकि कोरोना वायरस जैसी महामारी भी एक हद तक प्रकृति और जानवरों के खिलाफ हिंसा का ही परिणाम है.
2. सत्य
सत्य के बारे में महावीर जी कहते हैं कि मनुष्य को सदैव सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और न ही किसी भी स्थिति में झूठ का सहारा लेना चाहिए. क्योंकि सत्य के संबंध में कहा जाता है कि जो ज्ञानी सत्य की आज्ञा में रहता है, वह तैरकर मृत्यु को पार कर जाता है.
3. अपरिग्रह
भगवान महावीर ने अपरिग्रह के बारे में कहा था कि मनुष्य ने जरूरत से ज्यादा सामान इकट्ठा करने से बचना चाहिए. ऐसा व्यक्ति अपने दुखों से कभी मुक्त नहीं हो सकता. प्रत्येक व्यक्ति को सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए जरूरत के अनुसार चीजों का संचय करना चाहिए. इसीलिए भगवान महावीर ने अपरिग्रह के माध्यम से संसार के कल्याण हेतु यह संदेश विश्व को दिया है.
4. अस्तेय
अस्तेय के सन्दर्भ में महावीर जी ने कहा है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में अस्तेय का अनुसरण करता है, वह हर कार्य हमेशा संयम से करता है. अर्थात् अस्तेय का अर्थ है चोरी न करना, लेकिन यहाँ चोरी का अर्थ केवल भौतिक वस्तुओं को चुराने से नहीं है बल्कि दूसरों के प्रति बुरी नज़र से देखना भी है, जिससे सभी मनुष्यों को बचना चाहिए. शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त करने के लिए हमें अस्तेय का पालन करना चाहिए क्योंकि अस्तेय का पालन करने से ही हमें मन की शांति मिलती है.
5. ब्रह्मचर्य
भगवान महावीर कहते हैं कि ब्रह्मचर्य पूर्ण तप, नियम, ज्ञान, दर्शन, चरित्र, संयम और शील का मूल है. तपस्या में ब्रह्मचर्य सर्वोत्तम तप है. यानी ब्रह्मचर्य का अर्थ है अपनी आत्मा में लीन हो जाना या अपने भीतर छिपे ब्रह्म को पहचानना. अगर आपको बाहरी लोग परेशान करते हैं, तो आप दुनिया की परवाह न कर केवल अपनी मन की शांति के लिए तप करते हैं, तो आप ब्रह्मचारी कहलाएंगे.
महावीर जयंती का महत्व (Significance of Mahavir Jayanti)
महावीर जयंती का महत्व हिंदू और जैन धर्मों के लिए अधिक है. महावीर का जन्म राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के शासनकाल में हुआ था. भगवान महावीर का जन्म समय स्थान को बिहार के नाम से जाना जाता है. जिसका सपना रानी त्रिशला को 14 दिन बाद आया था.
इस सपने में भविष्यवाणी की गई थी कि भविष्य में पैदा हुआ यह बच्चा तीर्थंकर बनेगा और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करेगा और समाज को धर्म के मार्ग पर ले जाएगा.
जिस प्रकार भविष्यवाणी की गई थी उसी प्रकार भगवान महावीर ने 12 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त किया और समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ाया.
महावीर जयंती पर नारे (Slogans on Mahavir Jayanti)
भगवान का लग से कोई अस्तित्व नही है
अगर हर कोई सही दिशा में चलने का प्रयास करे
तो देवत्व प्राप्त कर सकता है.
महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं – Happy Mahavir Jayanti
जग एक भी लड़ा नहीं, फिर भी जग को जीत लिया
अहिंसा, अपरिग्रह अनेकांत का हमको मंत्र दिया
उस जगत के तारक भगवान महावीर को कोटि-कोटि वंदन
आओ हम सभी भी उनके राह पर चलकर तोड़े भौतिक बंधन
महावीर स्वामी को खोजने कहाँ जायेंगे, बिना ठिकाना उनको कहाँ पाएंगे
करो भक्ति चंदना जैसी बंधुओं, भगवान महावीर तुम्हारे द्वार स्वयं चले आयेंगे
महावीर स्वामी जिनका नाम है
पालीताना जिनका धाम है
अहिंसा जिनका नारा है
ऐसे त्रिशला नंदन को
लाख प्रणाम हमारा है
सिद्धो का सार आचार्यो के साथ
साधुओं का साथ अहिंसा का प्रचार
यंही है महावीर स्वामी का सार
महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं – Happy Mahavir Jayanti
महावीर जयंती से जुड़े प्रश्न उत्तर (Question and Answer related to Mahavir Jayanti)
Question – भगवान महावीर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
Answer – भगवान महावीर जी का जन्म लगभग ढाई हजार वर्ष अर्थात 599 वर्ष पहले भारत के कुंडग्राम (बिहार) में वैशाली गणराज्य के क्षत्रिय कुंडलपुर में राजा सिद्धार्थ और उनकी पत्नी रानी त्रिशला के गर्भ से तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस (त्रयोदशी) को हुआ था.
Question – महावीर का बचपन का नाम क्या था?
Answer – वर्धमान महावीर जी बचपन का नाम था
Question – भगवान महावीर के कौन से पांच सिद्धांत थे?
Answer – अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह (अनासक्ति), ब्रह्मचर्य (शुद्धता)
Question – जैन धर्म में कौन से तीन रत्नों या त्रिरत्न शामिल हैं?
Answer – 1. सम्यक दर्शन (सही विश्वास) 2. सम्यक ज्ञान (सही ज्ञान) 3. सम्यक चरित्र (सही आचरण)
Question – भगवान महावीर के माता पिता का नाम क्या था?
Answer – राजा सिद्धार्थ और उनकी पत्नी रानी त्रिशला भगवान महावीर के माता पिता का नाम था
Question – महावीर जयंती 2024 में कब है?
Answer – Mahavir Jayanti 2024 में 21 अप्रैल दिन रविवार को मनाई जाएगी
Question – महावीर स्वामी धर्म के कौन से तीर्थंकर थे?
Answer – स्वामी महावीर धर्म के 24वें तीर्थंकर थे
Question – भगवान महावीर जी ने कितने वर्षों तक तपस्या से ज्ञान प्राप्त किया था?
Answer – 12 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर जी ने ज्ञान प्राप्त किया था
दोस्तों इस लेख में मैंने Mahavir Jayanti 2024 | Mahavir Jayanti Kab Hai Aur Kyo Manai Jati Hai इससे जुड़ी जानकारी बताई है. मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी.
अगर आपको Mahavir Jayanti से जुड़ी जानकारी अच्छी लगी हो, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगों के साथ जितना हो सकें अधिक से अधिक शेयर करे. धन्यवाद.
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