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Pola Kyu Manaya Jata Hai – पोला क्यों मनाया जाता है? बैल पोला कब है? 2023

August 22, 2022 by admin Leave a Comment

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Pola Kyu Manaya Jata Hai – पोला क्यों मनाया जाता है? – बैल पोला का पर्व कब है 2023 – दोस्तों बैल पोला का त्यौहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. खासकर देखा जाए तो यह त्योहार ज्यादातर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है.

वैसे आप सभी जानते हैं कि हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है, यही कारण है कि राज्य के लोगों को खेती में अधिक रुचि है, इसलिए वे काम शुरू करने से पहले हल की पूजा करते हैं.

उसके बाद ही वे अपनी कृषि के काम में शामिल होते हैं. इतना ही नहीं किसान को खेती करने के लिए बैल ही उनके लिए अनमोल होते है. इसलिए वे बैलों की भी सजाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करते है. जिसे बैलों का पोला या फिर तनहा पोला, मोठा पोला, पिठोरी अमावस्या का त्योहर कहा जाता है.

लेकिन देश में आज भी कई ऐसे लोग हैं जिन्हें पोला क्यों मनाते हैं? इस बारे में पता नहीं है. यदि आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें बैल का पोला क्यों मनाया जाता है? इसके बारे में जानकारी नहीं, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पोला (Pola) कब है? बैल का पोला क्यों मनाया जाता है? (Pola Kyu Manaya Jata Hai), तो इस लेख के साथ अंत तक बने रहें –

Pola Kyu Manaya Jata Hai - पोला क्यों मनाया जाता है?
Pola Kyu Manaya Jata Hai

पोला क्यों मनाया जाता है? (Pola Kyu Manaya Jata Hai in Hindi)

हमारे भारत देश में अधिकांश किसान भाई हैं, इसलिए इस देश को मुख्य रूप से कृषि प्रधान देश माना जाता है. इस देश में किसान अपनी खेती के लिए बैलों का प्रयोग करते हैं.

इसलिए किसान इस त्योहार को जानवरों की पूजा एनम् उन्हें धन्यवाद देने के लिए मनाते हैं. इस दिन तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं और पहला पकवान भोग के रूप में बैलों को खिलाया जाता है.

इसके साथ ही बैलों को अच्छी तरह से सजाया जाता है और उनकी विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. इस तरह बैल पोला मनाया जाता है.

मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि पोला मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है. ऐसा कहा जाता है कि जब से भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर कान्हा के रूप में जन्म लिया, इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है.

कान्हा जी के जन्म के बाद उनके मामा कंस ने कान्हा जी को अपना शत्रु माना, जब कान्हा छोटे थे और वे वासुदेव-यशोदा के साथ रहते थे, तब कंस ने उन्हें मारने के लिए कई बार असुरों को भेजा. लेकिन एक दिन कंस ने कान्हा जी को मारने के लिए पोलासुर नाम का एक असुर भेजा जो बहुत शक्तिशाली था.

लेकिन कृष्ण जी ने अपनी लीला से पोलासुर नाम के असुर का वध कर दिया था. और वह दिन भादों मास की अमावस्या का दिन था. तभी से इस दिन को तन्हा पोला के नाम से जाना जाने लगा.

इसके अलावा इसके पीछे एक और कहानी प्रचलित है. जिससे किसान अपने सभी कृषि कार्य समाप्त कर अन्नमाता को विश्राम देते हैं. कहा जाता है कि इस दिन अन्नमाता गर्भ धारण करती हैं.

 

बैल पोला कब है? 2023

इस साल बैल पोला जिसे हम तन्हा पोला, बड़ा पोला, पिथौरी अमावस्या त्योहार कहते हैं. यह पर्व इस वर्ष 14 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा.

 

जानिए पोला गाँव और शहर में कैसे मनाया जाता है?

पोला का त्योहार गांवों और शहरों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. जगह-जगह बैलों की पूजा की जाती है. गांव के किसान जल्दी उठकर बैलों को नहलाते हैं और उन्हें सजाते हैं. और उन्हें तरह-तरह के व्यंजन चढ़ाकर उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते है. हालांकि पहले इस त्योहार पर गांव में बैल दौड़ का आयोजन किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म हो गई है.

इसके अलावा इस दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैलों के चलने की परंपरा भी बहुत लोकप्रिय मानी जाती है. इस त्योहार के 2 से 3 दिन पहले बाजारों में मिट्टी और लकड़ी से बने बैलों की जोड़ी देखने को मिलती है. जिसकी कीमत 100 रुपये से लेकर 150 रुपये तक होती है.

हालांकि यह त्योहार कृषि आधारित त्योहार है. इस पर्व का अर्थ है खेती की समाप्ति यानी रोपाई, निदाई आदि. महाराष्ट्र में इस दिन विशेष रूप से पूरनपोड़ी और खीर बनाई जाती है. इसके साथ ही कई अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं. बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. और उन्हें पूरनपोड़ी और खीर खिलाई जाती है.

जिस गाँव में बैल जोड़े होते हैं, वे उनको सजाकर उनकी पूजा करते हैं, जहाँ गाँव के पट-आँगन में तोरण लगाए जाते हैं, वहाँ अपने-अपने बैलों को खड़ा किया जाता है और सभी बैलों के पैर शायरी और बैलों पर आधारित गीतों के साथ किया जाते हैं. और अपनी-अपनी जोड़ी बैलों के साथ घर आते हैं. इस तरह यह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष को उत्साहपूर्वक बैल का पोला मनाया जाता है.

 

पोला का त्यौहार छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कैसे मनाया जाता है?

पोला का त्योहार छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. क्योंकि इन दोनों राज्यों में आदिवासी जाति और जनजाति अधिक प्रमाण में रहती है. इसलिए यहां के गांव में पोला का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह सच है कि यहां बैलों की जगह लकड़ी और लोहे के बैलों की पूजा की जाती है, इसके अलावा यहां बैल, लकड़ी, पीतल के घोड़ों की भी पूजा की जाती है.

पूजा में उन्हें तरह-तरह के व्यंजन चढ़ाए जाते हैं, जैसे सेव, गुझिया, मीठा खुरमा आदि. पकवान का थैला घोड़े पर रखकर, बच्चे घोड़े, बैल को लेकर पड़ोस में घर-घर जाते हैं और ज्यादातर पैसे लेते हैं, एक उपहार के रूप में.

 

महाराष्ट्र में पोला का त्यौहार कैसे मनाया जाता है? (How is the Festival of Pola Celebrated in Maharashtra)

बैल पोला का त्योहार भी महाराष्ट्र में बहुत उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में इस पोला पर्व के दिन वे सुबह जल्दी उठते हैं और हल्दी, बेसन का पेस्ट लगाकर तेल से मालिश करते हैं. और फिर उन्हें गर्म पानी या नदी या तालाब में ले जाकर अच्छे से नहलाते है.

इन्हें अच्छे से सजाकर इनके सींगों को भी रंग से सजाया जाता है. साथ ही रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर तरह-तरह के आभूषण, फूलों की माला धारण कराते और उन्हें नई रस्सियाँ भी पहनाई जाती हैं.

गाँव के सभी लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं, और अपने जानवरों को सजाकर ले आते हैं और एक लाइन में लग जाते हैं. इस दिन उनकी पूजा करने के साथ साथ कई पकवान भी भोग में खिलाया जाता है. उसके बाद पूरे गांव में ढोल-नगाड़ों के साथ इनका जुलूस निकाला जाता है.

 

पोला त्योहार का नाम क्यों पड़ा? (Why Pola Festival Got its Name)

कहा जाता है कि जब विष्णु जी कान्हा के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, तब कृष्ण जन्माष्टमी को उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. लेकिन जब कृष्ण जी के जन्म के बाद उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बन गए. जब कान्हा छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के साथ रहते थे, कंस ने उन्हें कई बार मारने के लिए कई असुरों को भेजा.

लेकिन हर बार कंस उसमें असफल रहा. एक बार कंस ने पोलासुर नाम के एक असुर को भेजा जो बहुत शक्तिशाली था. उसे भी कृष्ण ने अपनी लीला से असुर का वध किया था. जिसे देख सभी हैरान रह गए थे, वह दिन भादों मास की अमावस्या का दिन था, इसी दिन से इसे पोला कहा जाने लगा.

 

FAQs Related to Pola

Question – 2023 में पोला कब है?
Answer –  पोला इस वर्ष 2023 में 14 सितंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी.

Question – पोला को किन अन्य नामों से जाना जाता है?
Answer –  Pola के पर्व को पिठोरी अमावस्या, मोठा पोला, तनहा पोला के नाम से भी जाना जाता है.

Question – पोला कब मनाया जाता है?
Answer –  Pola भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है.

Question – पोला का त्यौहार अधिक प्रमाण में कौन से राज्य में मनाया जाता है?
Answer –  महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों में पोला का त्यौहार अधिक प्रमाण में मनाया जाता है.

Question – पोला का त्यौहार में किसकी पूजा की जाती है?
Answer – बैल एवं घोड़ों की पूजा अधिकतर पोला का त्यौहार में की जाती है.

 

निष्कर्ष 

दोस्तों इस लेख में Pola Kyu Manaya Jata Hai – Why is Pola Celebrated इससे जुडी जानकारी बताई है. जो इस प्रकार है –

  • पोला क्यों मनाया जाता है?
  • बैल पोला कब है 2023
  • पोला गाँव और शहर में कैसे मनाया जाता है?
  • Pola का त्यौहार छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कैसे मनाया जाता है?
  • महाराष्ट्र में पोला का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
  • पोला त्योहार का नाम क्यों पड़ा?
  • FAQs Related to Pola

दोस्तों इस लेख में मैंने Pola Kyu Manaya Jata Hai – Why is Pola Celebrated इससे संबंधित जानकारियों से अवगत कराया है. मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी.

अगर आपको यह जानकारी Pola Kyu Manaya Jata Hai यह जानने के लिए उपयोगी लगता है, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगो के साथ जितना हो सकें अधिक से अधिक शेयर करे. धन्यवाद.

 

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Filed Under: Festival Tagged With: FAQs Related to Pola, How is Pola celebrated in the village and in the city, How is the festival of Pola celebrated in Chhattisgarh and Madhya Pradesh, How is the festival of Pola celebrated in Maharashtra, Pola, When is the bull pola, Why is Pola celebrated, Why Pola festival got its name

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