Rakshabandhan Kyu Manate Hain – Why is Rakshabandhan Celebrated? History and Significance – दोस्तों आने वाले अगस्त महीने में रक्षा बंधन का पर्व है, जिसका बहनें बेसब्री से इस दिन का इंतजार करती हैं.
क्योंकि हर साल रक्षा बंधन का पर्व सावन के महीने में पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है. इस साल रक्षा बंधन का पर्व 30 अगस्त बुधवार को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है.
इतना ही नहीं भारत के अलावा जहां पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के लोग रहते हैं, वहां यह त्योहार भाई-बहनों के बीच मनाया जाता है. इस त्योहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी है.
हालांकि रक्षा बंधन का पर्व दो शब्दों के मेल से बना है. जो भाई-बहनों का पवित्र रिश्ता होता है, जिसका भाई-बहन इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं. रक्षा और बंधन का अर्थ है एक ऐसा बंधन जो हमेशा रक्षा करता है, तभी रक्षा बंधन को भाई-बहन का प्रतीक माना जाता है.
रक्षा बंधन के इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. वही भाई बदले में जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है. जिसे हम भाई बहन का पर्व यानी रक्षाबंधन का त्योहार कहते हैं.
लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है (Raksha Bandhan Kyu Manate Hain), अगर नहीं तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? और इसके इतिहास तथा महत्व के बारे में जानेंगे, तो अंत तक बने रहें –
रक्षा बंधन क्यों मनाते है? (Raksha Bandhan Kyu Manate Hain in Hindi)
रक्षाबंधन का पर्व हर भाई-बहन के लिए खुशियों का पर्व है. यह रक्षाबंधन का त्योहार भाई को उसकी बहन के प्रति उसके प्यार और कर्तव्य की याद दिलाता है. रक्षाबंधन के इस पर्व को भाई-बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री-पुरुष इस पर्व को अपनी बहन या भाई बनाकर मना सकते हैं.
इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि राखी बांधती हैं. और उनकी खुशी और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती है. भाई भी अपनी बहन को राखी बांधने के उपलक्ष्य में उपहार देता है और उसकी जीवनभर रक्षा करने का संकल्प लेता है.
रक्षाबंधन का इतिहास (History)
राखी का त्योहार भारत तथा विश्व में हिंदू धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. जिसे सभी हर्ष और उल्लास के साथ मानते हैं. इस त्योहार को सभी गरीब से लेकर अमीर लोग खुशियों के साथ मानते हैं. और यह भी सच ही की सभी त्योहारों के पीछे एक रहस्यमय इतिहास जरुर होता है. उसी प्रकार इस रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे भी एक अपना इतिहास है. तो आइए यहां हम आपको रक्षाबंधन के इतिहास के बारे में बताते हैं.
इन्द्र देव की कहानी (Story of Indra Dev)
भविष्य पुराण में बताया गया है कि बलि नाम का एक असुर राजा था, जिसने देवताओं पर आक्रमण किया था, उस आक्रमण में देवताओं के राजा इंद्र को बहुत कष्ट हुआ था. जिससे इंद्र की पत्नी सची बहुत चिंतित थी. इसलिए इंद्र देव की पत्नी सची अपने पति की सहायता हेतु भगवान विष्णु देव जी के पास गई और इंद्र देव की मदद के लिए प्रार्थना की. तब विष्णु ने साची को एक धागा दिया और कहां कि इसे इन्द्र देव के कलाई पर बांधे, यह सुनकर सची वहां से इंद्र देव के पास गई और इंद्र देव की कलाई पर धागा बांध दिया, जिसके बाद राजा बलि इंद्र के हाथों पराजय हो गया. इसीलिए पुराने दिनों में युद्ध में जाने से पहले सभी पत्नियां और बहनें अपने पति और भाइयों के हाथों में रक्षा के लिए रक्षा का धागा बांधती थीं.
माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी (Story of Mata Lakshmi and King Bali)
बाली नाम का एक असुर सम्राट विष्णु जी का बहुत बड़ा भक्त था, जिसने अपनी भक्ति से विष्णु जी को प्रसन्न किया था और वरदान में बली ने अपने राज्य रक्षा करने का वरदान माँगा था. जिस कारन विष्णु जी अपना वैकुंठ छोड़ कर बलि के राज्य की रक्षा स्वयं कर रहे थे, इस वजह से माता लक्ष्मी काफी परेशान थी. माता लक्ष्मी जी के मन में एक युक्ति सूजी और उन्होंने ब्राह्मण औरत का रूप धारण कर बलि के महल में प्रवेश किया.
महल में प्रवेश करने के पश्चात उन्होंने बलि के हाथों में राखी बांध दी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा, तब बलि ने उनसे कुछ भी मांगने को कहा, इस पश्चात माता ने बलि से विष्णु जी को वापस वैकुंठ लौट जाने के लिए आग्रह किया.
तब बलि राजा के कहें अनुसार उनके पास कोई विकल्प नही था. इसलिए बलि असुर सम्राट ने विष्णु जी को अपने वैकुंठ लौट जाने को कहा, उसके बाद विष्णु जी और माता लक्ष्मी अपने निवास स्थान वैकुंठ लौट आते है.
इस प्रकार राखी की माध्यम से विष्णु जी और माता लक्ष्मी अपने निवास स्थान वैकुंठ लौटते है. इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्हा के नाम से भी जाना जाता है.
कृष्ण और द्रौपदी की कहानी (Story of Krishna and Draupadi)
प्रजा की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण को दुष्ट राजा शिशुपाल का वध करना पड़ा. इस युद्ध के दौरान कृष्ण जी के हाथ में गहरी चोट लग गई थी. यह देख द्रौपदी ने अपने वस्त्र का उपयोग कर खून से लथपथ हाथ पर कपड़े से उसे बांध दिया था. यह देखकर श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और संकट के समय द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया.
कुछ वर्षों के बाद जब कुरु सभा में द्रौपदी को जुए के खेल में पराजित होना पड़ा तो कौरव राजकुमार दुहसासन ने द्रौपदी का चिर हरण करना शुरू कर दिया. यह देखकर कृष्णजी ने द्रौपदी की रक्षा की और उसकी लज्जा को बचाया.
महाभारत में युद्ध के दौरान राखी (Rakhi During the War in Mahabharata)
ऐसा माना जाता है कि जब युधिष्ठिर ने कृष्ण जी से पूछा कि वे सभी परेशानियों को कैसे दूर कर सकते हैं, तो सरल शब्दों में कृष्ण जी ने उन्हें रक्षा बंधन का त्योहार मनाने की सलाह दी. जब महाभारत युद्ध का समय आया तो महाभारत युद्ध के दौरान द्रौपदी ने कृष्ण की रक्षा के लिए उनके हाथ में राखी बांधी थी. इसी तरह, इस युद्ध के दौरान, कुंती ने भी रक्षा के लिए अपने पोते अभिमन्यु की कलाई पर राखी बांधी.
संतोषी माँ की कहानी (Story of Santoshi Maa)
शुभ और लाभ भगवान गणेश के दो पुत्र थे और दोनों बहनें न होने के कारण बहुत विचलित और परेशान थे, इस बात को लेकर दोनों बेटे अपने पिता गणेशजी के पास जाकर बहन को लाने की बात पर अड़े रहे. तब भगवान गणेश को नारद जी ने अपनी शक्ति का उपयोग करके संतोषी माता को उत्पन्न करने के लिए हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया. इस प्रकार शुभ और लाभ दोनों भाइयों ने रक्षा बंधन के अवसर पर अपनी बहन को पाया था.
यम और यमुना की कहानी (Story of Yama and Yamuna)
मृत्यु के देवता यम लगभग 12 वर्षों तक अपनी बहन यमुना के पास नहीं गए, इस पर यमुना बहुत दुखी हुई. यह देख गंगा माता बहुत परेशान हो गईं. यह बात जानकर गंगा माता यम देव के पास गई, गंगा माता की सलाह पर यम ने अपनी बहन के पास जाने का निश्चय किया.
जब यम देव अपनी बहन यमुना के पास गए, तो यमुना अपने भाई को देखकर बहुत प्रशन्न हुई और उन्होंने यम भाई की बहुत अच्छी देखभाल की. इस पर यम देव अपनी बहन यमुना के स्नेह और प्रेम को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और कहा कि यमुना तुम्हें क्या चाहिए?
जिस पर यमुना ने कहा कि मुझे तुमसे बार-बार मिलना है. यह सुनकर यम देव जी ने भी उनकी मनोकामना पूर्ण कर दी. इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गई.
सम्राट अलेक्जेंडर और सम्राट पुरु (Emperor Alexander and Emperor Puru)
रक्षाबंधन का त्योहार पहली बार 300 ईसा पूर्व में मनाया गया था. यह उस समय की बात है जब Alexander अपनी सेना के साथ भारत पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना के साथ आया था. लेकिन यहाँ सम्राट पुरु का बहुत नाम था.
हालांकि Alexander ने कभी किसी से मात नहीं खाई, लेकिन सम्राट पुरु की सेना से लड़ने में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. जिससे Alexander की पत्नी इस बात से बहुत परेशान थी कि सम्राट पुरु उसके पति Alexander को न मार डाले.
लेकिन जब Alexander की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तो उसने सम्राट पुरु के लिए राखी भेज दी. राखी भेजने का मकसद अपने पति Alexander को बचाना था. इसलिए पुरु ने Alexander की पत्नी द्वारा भेजी गई राखी का मान रखकर रिश्ता निभाया और Alexander को नहीं मारा.
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ (Queen Karnavati and Emperor Humayun)
यह उस समय की बात है जब राजपूतों को अपना राज्य बचाने के लिए मुस्लिम राजाओं से युद्ध करना पड़ा था. हालांकि उस समय राखी भी प्रचलित थी जिसमें भाई अपनी बहनों की रक्षा करता था.
एक समय की बात है जब चितोर की रानी कर्णावती हुआ करती थी, जो एक विधवा रानी थी. जिस पर सुल्तान बहादुर साह ने हमला किया था, ऐसे में रानी अपना राज्य नहीं बचा पा रही थी, इस पर उसने सम्राट हुमायूँ को उसकी रक्षा के लिए राखी भेजी.
हुमायूँ ने भी अपनी सेना की एक टुकड़ी को अपनी बहन की रक्षा के लिए चित्तोर भेजा दिया, जिसके कारण सुल्तान बहादुर साह की सेना को पीछे हटना पड़ा.
रक्षाबंधन का महत्व (Significance of Rakshabandhan)
रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन का सबसे कीमती और सबसे प्रिय त्योहार है. जो सावन मास की पूर्णिमा को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रीति-रिवाजों तथा विशेष नामों से प्रसिद्ध है, जिसे बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है.
यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें बहन अपने भाई के हाथों में राखी बांधती है और अपने भाई के स्वस्थ और सुरक्षित रहने की प्रार्थना करती है. साथ ही भाई का यह भी कर्तव्य है कि वह जीवन भर किसी भी परिस्थिति में अपनी बहन की रक्षा करे. सचमुच हमारे लिए ऐसा पवित्र पर्व कितना अनमोल है, जो भाई-बहन के प्यार और स्नेह को दर्शाता है.
यह माह सभी किसानों, मछुआरों तथा समुद्री व्यापार के लिए भी बहुत महत्व रखता है. रक्षाबंधन को भारत के तटीय क्षेत्रों में नाओरी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है.
इस दिन वर्षा के देवता इंद्र और सुमाद्र के देवता वरुण की पूजा की जाती है. दूसरी ओर, नारियल को देवताओं को चढ़ाया जाता है और समृद्धि की कामना की जाती है.
इस दिन से मछुआरे भी मछली पकड़ना शुरू करते हैं. क्योंकि इस समय समुद्र शांत होता है और उनके पानी में जाने का कोई खतरा नहीं होता है. इसी तरह किसानों के लिए यह दिन कजरी पूर्णिमा है. किसान इस दिन से अपने खेतों में गेहूं के बीज बोते हैं और अच्छी फसल के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं.
वहीं ब्राह्मणों के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है. क्योंकि इस दिन वे मंत्रों के जाप से जन्नत बदलते हैं. जिसे इस पूर्णिमा को ऋषि तर्पण भी कहते हैं. वहीं, विधि खत्म होने के बाद आपस में नारियल से बनी मिठाइयां खाते हैं.
रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan auspicious time)
रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. 30 अगस्त के दिन बहनें शुभ मुहूर्त के बीच में अपने भाइयों को रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद राखी बांध सकती हैं.
या फिर 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले बांध सकती है. जिसमें बहनें अपने भाइयों को लंबी उम्र का आशीर्वाद देंगी, तो यह अधिक फलदायी होगा.
रक्षा बंधन मंत्र
रक्षा बंधन राखी बांधने का मंत्र :-
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल
रक्षा बंधन सिंदूर, चंदन लगाने का मंत्र :-
सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, पवित्रम् पाप नाशनम्
आपदं हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वद
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है? (How is Raksha Bandhan Celebrated)
रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की सफाई करें उसके बाद अच्छे से स्नान कर लें जिससे आपका तन और मन दोनों शुद्ध हो जाएं, उसके बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़क कर सबसे पहले भगवान जी की पूजा करें.
उसके बाद राखी बांधने के लिए सबसे पहले राखी की थाली को सजाया जाता है. रक्षाबंधन के शुभ दिन पर पीतल की थाली में राखी, चंदन, दीपक, कुमकुम, हल्दी, चावल के दाने, नारियल और मिठाई रखी जाती है.
इसके बाद भाई को बुलाया जाता है और उसे साफ जगह पर बिठाया जाता है. इसके बाद शुरू होती है राखी बांधने की विधि. सबसे पहले थाली का दीया जलाया जाता है, फिर बहन भाई के माथे पर चंदन का तिलक करती है. और अपने भाई की आरती करती है. इसके बाद अक्षत को फेकते हुए मंत्रों का पाठ करती हैं.
फिर भाई की कलाई पर राखी बांधते हैं, साथ ही वह उसे मिठाई भी खिलाती हैं. भाई बड़ा होता है तो बहन उसके पैर छुती है, वहीँ छोटा हुआ तब भाई पैर छुता है.
राखी बांधने की रस्म पूरी होने पर भाई अपनी प्यारी बहन को कुछ उपहार देता है या बिना उपहार दिए पैसे देता है, जिसे बहन खुशी-ख़ुशी लेती है.
रेशम के धागों का है यह मजबूत बंधन
माथे पर चमके चावल, रोली और चन्दन
प्यार से मिठाई खिलाये प्यारी बहन
देख इसे छलक उठीं आँखों में भर आया मन
Happy Raksha Bandhan
सावन के महीने में राखी का त्यौहार आता हैं
परिवार के लिए जो कि ढेरों खुशियाँ लाता हैं
रक्षाबन्धन के पर्व की कुछ अलग ही बात हैं
भाई-बहन के लिए पावन प्रेम की सौगात हैं
रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं (Wishing you a very Happy Rakshabandhan)
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राखी से संबंधित FAQs
Question – रक्षाबंधन 2023 में कब है?
Answer – Rakshabandhan का त्योहार इस वर्ष 2023 में 30 अगस्त बुधवार के दिन मनाई जाएगी.
Question – रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है?
Answer – श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है.
Question – रक्षाबंधन के दिन भाई क्या संकल्प लेता है?
Answer – Rakshabandhan का यह पर्व भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का पर्व है. इसलिए यह दिन सभी के लिए बेहद खास होता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है.
Question – रक्षाबंधन किन दो शब्दों से मिलकर बना है?
Answer – रक्षा + बंधन (Raksha + Bandhan) रक्षाबंधन इन दो शब्द से मिलकर बना है.
Question – रक्षा किसे कहते है?
Answer – रक्षा अर्थात कठिन/बुरी परिस्थिति में आपके लिए सदैव तैयार रहना, रक्षा कहलाता है. रक्षक अपने प्राणों से बढ़कर धर्म के रूप में अपनी रक्षा का वचन पूरा करता है.
Question – बंधन किसे कहते है?
Answer – बंधन एक तरह का संकल्प है, जिसे प्रतिज्ञा की तरह माना जाता है. जिस भाई और बहन का रिश्ता दिल से और गहराई से जुड़ा हो, इसे हम बहन-भाई का अनोखा बंधन कहते हैं.
निष्कर्ष
इस लेख में Rakshabandhan Kyu Manate Hain – Why is Rakshabandhan Celebrated? History and Significance इससे जुडी जानकारी बताई है. जो इस प्रकार है –
- रक्षा बंधन क्यों मनाते है? (Rakshabandhan Kyu Manate Hain)
- रक्षाबंधन का इतिहास
- 1. इन्द्र देव की कहानी
- 2. माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी
- 3. कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
- 4. महाभारत में युद्ध के दौरान राखी
- 5. संतोषी माँ की कहानी
- 6. यम और यमुना की कहानी
- 7. सम्राट अलेक्जेंडर और सम्राट पुरु
- 8. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ
- रक्षाबंधन का महत्व
- रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
- Rakshabandhan Mantra
- रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
- Rakshabandhan से संबंधित FAQs
इस लेख में मैंने Rakshabandhan Kyu Manate Hain – Why is Rakshabandhan Celebrated? History and Significance इससे संबंधित जानकारियों से रूबरू कराया है. मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी.
अगर आपको यह जानकारी Rakshabandhan Kyu Manate Hain इसके बारे में जानने के लिए यह लेख उपयोगी साबित लगता है, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा रिश्तेदारों और अन्य लोगों के साथ जितना हो सकें अधिक से अधिक शेयर करे. धन्यवाद.
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