Ek Kisan Ki Dukh Bhari Kahani – नमस्कार दोस्तों, इस आर्टिकल में हम आपको एक किसान (Farmer) कि दुःख भरी कहानी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.
दोस्तों अगर हम किसान की बात करें, तो किसान वह होता है जो प्रतिदिन खेत में खून पशीना बहाकर कठिन परिश्रम कर लोगों के लिए अन्न प्रदान करता है, जिसे हम किसान (Farmer) कहते है.
तो चलिए बिना समय गवाए शुरू करते हैं और जानते है, इस आर्टिकल में एक किसान कि दुःख भरी कहानी (Sad Story of a Farmer) से जुड़ी जानकारी हिंदी में.
एक किसान की दुख भरी कहानी (Sad Story of a Farmer in Hindi)
दोस्तों एक गाँव में भीमा नाम का एक किसान अपनी पत्नी तथा दो बेटों के साथ रहता था. भीमा अपनी कड़ी मेहनत तथा कठिन परिश्रम कर खेती करता और अपने परिवार का भरण-पोषण करता था. भीमा किसान के दो बेटे थे जिनका नाम धीरज तथा नीरज था. लेकिन वे दोन्हो अपने पिता के कृषि कार्यों में किसी भी प्रकार का योगदान नहीं देते थे.
भीमा और भीमा की पत्नी शकुंतला दोनों खेत जाकर कड़ी मेहनत से खेती करते थे और खेती से जो भी मुनाफा होता वे अपने परिवार का पालन-पोषण तथा अपने दोनों बेटो की शिक्षा पूरी कराते थे. भीमा और उसकी पत्नी शकुंतला सुबह उठकर खेत में जाते और खेती का काम पूरा निपटाके श्याम को घर वापस आते, भीमा के दोनों बेटे प्रतिदिन धीरे-धीरे बड़े हो रहे थे.
भीमा अनाज की खेती करता था और फसल काटने के बाद, वह उन अनाज को बेच दिया करता था. और उन पैसों से वे अपने घर तथा अपने दोनों बेटों की पढाई पूरी करवाता. भीमा बहुत ही मेहनती था, इसलिए भीमा अपनी अनाज की खेती से वह अपने परिवार का गुजारा करता, भीमा के दोनों बेटे धीरज और नीरज बड़े हो गए थे, इसलिए भीमा अपने दोनों बेटों के विवाह के बारे में सोच रहा था.
भीमा अपने दोनों बेटे धीरज और नीरज की शादी के लिए लड़की की तलाश शुरू करता है. जैसे ही भीमा को लड़की के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, वह शादी तय करने के लिए लड़की के घर जाता है. कुछ दिनों के बाद भीमा अपने दोनों बेटों की शादी करवा देता है.
लेकिन शादी के बाद भी धीरज और नीरज अपने पिता की खेती में मदद नहीं करते और न ही कोई काम करते हैं. इधर बेचारा भीम अपनी पत्नी के साथ खेत जाकर परिश्रम कर उनका भरण-पोषण करते है.
एक दिन भीमा की पत्नी शकुंतला की तबीयत अचानक खराब हो जाती है, उस समय भीम बहुत घबरा जाता है. और भीम तुरंत अपनी पत्नी को खेत से उठाकर घर ले आता हैं. लेकिन उस वक्त उसके दोनों बेटे तथा बहुएँ घर पर नहीं होती हैं.
यह देखकर भीमा अपनी पत्नी को घर पर अकेला छोड़कर तुरंत डॉक्टर को बुलाने के लिए निकलता है. लेकिन जब भीमा डॉक्टर को लेकर घर लौटता है, तब तक काफी देर हो जाती है. और भीमा की पत्नी सकुंतला की मौत हो जाती है. यह देखकर भीमा को एक बड़ा झटका लगता है और वह दु:खी होकर अपने पत्नी सकुंतला की मौत पर बहुत रोने लगता है.
भीमा अपनी पत्नी शकुंतला की मृत्यु के बाद, भीमा को अकेलापन महसूस होने लगता है. लेकिन उसके दोनों बेटों को अपनी माँ की मृत्यु का कोई दुख नहीं होता है. अगले दिन भीमा दुखी होते हुए भी खेती करने के लिए खेत जाता हैं. फिर भी धीरज और नीरज अपने पिता भीमा कि खेती के काम में किसी भी प्रकार कि मदद नहीं करते हैं.
भीमा अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अकेले ही खेती करता हैं. और उसके दोनों बेटे तथा बहुएँ घर पर आराम से खुशी-खुशी रहते हैं और खुशी से खाते हैं. उन्हें अपने पिता की उम्र की बिल्कुल भी परवाह नहीं होती है.
धीरज और नीरज, अपने पिता की उम्र का जरा भी लिहाज न करते हुए, आराम के साथ घर पर रहते थे. जिसके कारन भीम अपने दोनों बेटों से काफी परेशान रहता था. और यह सोचता रहता था कि दोनों बेटे घर पर आराम के साथ बैठे रहते है. लेकिन खेती के काम में जरा भी सहायता नही करते, इस वजह से भीमा बहुत दु:खी था.
जब एक दिन भीमा सुबह अपने खेत जाकर खेती का काम करने की तैयारी कर रहा होता है. तब भीमा “भगवान” से कहने लगा, “हे भगवान” मैंने ऐसा कौन गुनाह किया जो इतनी बड़ी सजा दे रहे है, जो मेरे को ऐसे दो बेटो की प्राप्ति दिए, ऐसा कहकर भीमा भगवान को कोसते रहता है. और अचानक भीमा के शिने में दर्द होने लगता है. और भीमा को अधिक सदमे की वजह से अट्यक आ जाता है. जिसके वजह से भीमा की दर्दनाक मौत हो जाती है.
भीमा की मृत्यु के बाद गांव वाले भीमा के बेटों को कई भलाभूरा कहने लगे और भीमा के दोनों बेटों को कोसते हुए भीमा के दोनों बेटों ने भीमा की हत्या कर दी, ऐसे सभी ग्रामीण के लोग बोलते रहे. जिससे धीरज और नीरज को काफी शर्मिंदगी महसूस होने लगी.
और गाँव का मुखिया धीरज और नीरज से कहने लगा कि क्या तुमने अपने पिता भीमा की देखभाल की होती. और खेती के काम में साथ दिया होता तो आज तुम्हारे पिता भीमा तुम्हारे साथ होते.
दोस्तों, मैं आपको बताना चाहूंगा कि बचपन से माता-पिता जो हमारे लिए कठिन परिश्रम करते हैं. और हमारी खुशी के लिए कड़ी मेहनत मजदूरी कर हमें पढ़ाते हैं. और हमें सक्षम बनाते हैं. हम उन्हें ऐसे कैसे छोड़ सकते हैं. माता – पिता हमें इतना प्यार करते है और हमारे लिए मुशीबतो का सामना करते हैं और हमें उस काबिल बनाते हैं, हम ऐसे माता -पिता को पल भर में ही छोड़ देते है.
ऐसा न करते हुए हमें अपने माता-पिता को “भगवान” की तरह पूजना चाहिए. और उनका आधर-सम्मान करना चाहिए, जो माता पिता हमारी ऊँगली पकड़ के हमे चलना शिखाते है. ऐसे माता -पिता को जिंदगी में कभी नही छोड़ना चाहिए.
दोस्तों यह कहानी थी एक गांव के भीमा किसान (Farmer) की, जिसने अपने परिवार तथा अपने दो बेटों के बारे में सोचकर अपनी जिंदगी मेहनत मजदूरी तथा कठिन परिश्रम से खेती करके अपनी जिंदगी अपने बेटो के प्रति अपना जीवन खेत में ही समर्पित कर दिया. ऐसे किसान (Farmer) भीमा को मैं सलाम करता हु.
मुझे उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी. क्योंकि इस लेख में मैंने एक किसान की दुखद कहानी (Sad Story of a Farmer in Hindi) पेश की है. अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगों के साथ जितना हो सके शेयर करें. धन्यवाद.
जय किसान – जय जवान – जय हिंद
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