2 अक्टूबर का दिन संपूर्ण भारतवासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। इस दिन को ‘गांधी जयंती’ के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय लोगों के लिए गर्व की बात है। गांधीजी ने अपना पूरा जीवन अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने के लिए समर्पित कर दिया।
तो चलिए इस लेख में हम गांधी जयंती के अवसर पर छात्रों के लिए प्रसिद्ध गीत और कविताएँ लेकर आए हैं। ये कविताएँ छात्रों के लिए गांधीजी के संदेशों को समझने और उनकी महानता को अपने मन में याद करने का एक शानदार अवसर हैं। इन कविताओं के माध्यम से हम गांधी जयंती के अवसर पर सत्याग्रह और अहिंसा के महत्व को सीख सकते हैं और एक मजबूत और सक्षम भारत की ओर बढ़ सकते हैं।
गांधी जयंती पर विशेष कविताएँ – Special Poems on Gandhi Jayanti
गीत – “रघुपति राघव राजा राम”
गांधी जी के सबसे पसंदीदा गीतों में से एक है यह गीत। “रघुपति राघव राजा राम” (जिसे राम धुन भी कहा जाता है)
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
सीताराम, सीताराम,
भज प्यारे मना सीताराम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
मुख में तुलसी घट में राम,
जब बोलो तब सीताराम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
हाथों से करो घर का काम,
मुख से बोलो सीताराम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
कौशल्य का वाला राम,
दशरथ का प्यारा राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
बंसीवाला हे घनश्याम,
धनुष्य धारी सीताराम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम।
Gandhi Jayanti Top Poems – “साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”
“साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल” गीत एक गाने की शैली में हमें महात्मा गांधी और उनके संघर्ष के दिनों का स्मरण कराता है।
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आजादी…
धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
दागी न कहीं तोंफ न बंदूक चलाई
दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई..
चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल
(साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल)
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
शतरंज बिछा कर यहा बैठा था ज़माना
लगता था की मुश्किल है फिरंगी को हराना
टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था ताना
पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना
मारा वो कस के दांव कि उल्टी सभी की चाल
(साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल)
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े
मजदूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े
हिन्दू और मुसलमान सिख पठान चल पड़े
कदमों पे तेरे कोटि कोटि प्राण चल पड़े
फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
(साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल)
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी
वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी
लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी
दुनियां में तू बेजोड़ था इन्सान बेमिसाल
(साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल)
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
जग में कोई जिया है तो बापू तू ही जिया
तू ने वतन की राह में सबकुछ लुटा दिया
मांगा न कोई तख्त न तो ताज भी लिया
अमृत दिया सभी को मगर खुद जेहेर पिया
जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल
(साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल)
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल…
“वैष्णव जन तो तेने कहिये”
“वैष्णव जन तो तेने कहिए” एक प्रसिद्ध भजन है, जो सबसे लोकप्रिय है और इसकी रचना 15वीं सदी के संत नरसी मेहता ने की थी। ये गाना गुजराती भाषा में है. यह भजन आमतौर पर महात्मा गांधी की दैनिक प्रार्थनाओं में शामिल था।
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
पर दुःखे उपकार करे तो ये,
मन अभिमान न आणे रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
सकल लोकमां सहुने वंदे,
निंदा न करे केनी रे ।
वाच काछ मन निश्चळ राखे,
धन धन जननी तेनी रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,
परस्त्री जेने मात रे ।
जिह्वा थकी असत्य न बोले,
परधन नव झाले हाथ रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
मोह माया व्यापे नहि जेने,
दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे ।
रामनाम शुं ताली रे लागी,
सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
वणलोभी ने कपटरहित छे,
काम क्रोध निवार्या रे ।
भणे नरसैयॊ तेनुं दरसन करतां,
कुल एकोतेर तार्या रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
पर दुःखे उपकार करे तो ये,
मन अभिमान न आणे रे ॥
महात्मा गांधी के 5 अनमोल विचार
1. अहिंसा :- गांधीजी का सबसे महत्वपूर्ण विचार था अहिंसा, यानी हिंसा से दूर रहना। उन्होंने यह माना कि अहिंसा ही सच्चे और शांतिपूर्ण परिवर्तन का माध्यम है।
2. सत्याग्रह :- गांधीजी ने सत्याग्रह को एक शक्तिशाली आपत्ति और संघर्ष का तरीका बनाया, जिसका मतलब होता है सत्य के लिए आवाज उठाना
3. ग्राम स्वराज :- गांधीजी का मानना था कि भारतीय स्वतंत्रता का असली माध्यम गाँवों की स्वायत्तता में है, और वे ग्राम स्वराज की प्रमोट करते रहे।
4. सर्वोदय:- उन्होंने समाज के सभी वर्गों की सामाजिक और आर्थिक सुधार की दिशा में काम किया और सर्वोदय का सिद्धांत प्रमोट किया, जिसका मतलब सभी की सामाजिक और आर्थिक उन्नति होना।
5. वसुधैव कुटुम्बकम् :- गांधीजी का यह विचार है कि सारा मानवता एक परिवार है और सभी लोगों के बीच एकता और सहयोग होना चाहिए।
गांधीजी द्वारा दिए गए नारे (Slogans given by Gandhiji)
1. करो या मरो
2. अहिंसा परमो धर्म
3. सत्यमेव जयते
4. हरिजन सेवा
5. स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
Mahatma Gandhi FAQs
प्रश्न – महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर – महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
प्रश्न – महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर – महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
प्रश्न – महात्मा गांधी का विवाह किससे हुआ और क्या नाम था?
उत्तर – महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था।
प्रश्न – महात्मा गांधी के कुल कितने बेटे थे?
उत्तर – चार बेटे थे।
प्रश्न – गांधी का पहला पुत्र कौन और क्या नाम है?
उत्तर – गांधी जी के पहले पुत्र हीरालाल थे।
अंतिम शब्द
दोस्तों यहाँ पर हमने गांधी जयंती पर टॉप कविताएँ – Top Poems on 2nd October Gandhi Jayanti पेश किए. हमें पूरी उम्मीद है कि यह लेख आपको अच्छा लगा होगा. ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल को ज्वाइन अवश्य करे. मिलते है अगले लेख में, तब तक gkhindigyan.in के साथ जुड़े रहे.
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