BPO Full Form – What are the Types of BPO? बीपीओ Full Form in Hindi – इस लेख में आप जानेंगे कि बीपीओ Full Form तथा BPO कितने प्रकार के होते हैं? इससे जुड़ी जानकारी देने जा रहा है.
हर युवा और लोग बीपीओ की नौकरी करना काफी पसंद करते हैं. लेकिन अगर उनके पास अच्छा कौशल नहीं है, तो उनके नौकरी पाने की संभावना बहुत कम होती है.
लेकिन आज के समय में बीपीओ भी एक ऐसा सेक्टर है जिसमें जॉब के ढेरों विकल्प बन रहे हैं और साथ ही कई युवा जॉब भी करते हैं, जिनके पास अच्छा स्किल है.
क्योंकि आज के समय में कई बड़ी कंपनियां कॉल सेंटर या बीपीओ के जरिए कस्टमर केयर जैसे काम संभाल रही हैं. जिससे युवाओं के लिए नौकरी के कई विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं, जिस वजह से कई युवाओं को BPO में नौकरी मिल जाती है.
देखा जाए तो इस वर्तमान समय में कई बड़ी कंपनियां कॉल सेंटर या बीपीओ बड़े-बड़े शहर में बन चुके हैं, जहां हजारों कि संख्या में लोग काम करते हैं. लेकिन अधिकतर लोगों को BPO Full Form के बारे में जानकारी नहीं होती है.
अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जिन्हें BPO Full Form के बारे में जानकारी नही है, तो इस लेख में आपको आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे.
क्योंकि इस लेख में हम आपको बताएंगे कि BPO Full Form तथा बीपीओ क्या है? बीपीओ कितने प्रकार के होते हैं? BPO Full Form in Hindi साथ ही इसके लाभ और नुकसान से जुड़ी जानकारी से परिचित कराने जा रहे हैं, तो इस लेख के साथ अंत तक बने रहें –
बीपीओ का फुल फॉर्म (BPO Full Form in Hindi)
BPO Full Form “Business Process Outsourcing” होता है. जिसका हिंदी फुल फॉर्म बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग या फिर “व्यापार प्रक्रिया बाहरी स्रोत से सेवाएँ प्राप्त करना” होता है.
BPO Full Form in English – “Business Process Outsourcing” होता है.
- B – Business
- P – Process
- O – Outsourcing
बीपीओ फुल फॉर्म in Hindi – बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग या “व्यापार प्रक्रिया बाहरी स्रोत से सेवाएँ प्राप्त करना” होता है.
- बी – व्यापार
- पी – प्रक्रिया
- ओ – आउटसोर्सिंग
BPO Full Form In Marathi “बिझनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग” होता है जिसका मराठी में मतलब (BPO Meaning In Marathi) भी यही होता है. यानी मान लीजिए कि BPO यह एक ऐसी आउटसोर्स प्रक्रिया है जिसमें थर्ड-पार्टी प्रोवाइडर को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर मैनेजमेंट में शामिल किया जाता है.
BPO क्या है?
बीपीओ का मतलब Business Process Outsourcing होता है. जिसका हिंदी अर्थ बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग या “व्यापार प्रक्रिया बाहरी स्रोत से सेवाएँ प्राप्त करना होता है.
जिसे एक अन्य नाम Information Technology Enabled Services (ITES) से भी जाना जाता है. बीपीओ एक व्यवसाय आउटसोर्स प्रक्रिया है जिसमें एक संगठन अपने अन्य कार्यों को करने के लिए दूसरी कंपनी को काम पर रखता है और उस कंपनी को संगठन के काम को सफलतापूर्वक करने के लिए अपने स्वयं के व्यवसाय की आवश्यकता होती है.
आपको बता दें कि बीपीओ में अगर किसी कंपनी को देश के बाहर अनुबंधित यानी (Contracted) किया जाता है, तो उसे ऑफशोर आउटसोर्सिंग (Offshore Outsourcing) कहा जाता है.
और अगर किसी पड़ोसी देश की कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है, तो उसे नियरशोर आउटसोर्सिंग (Nearshore Outsourcing) कहा जाता है.
इतना ही नहीं बीपीओ का मुख्य मकसद लोगों को कम वेतन पर काम दिलाना है. क्योंकि कई बड़ी कंपनियां अपनी सेवाओं को अन्य देशों में आउटसोर्स करती हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रमिक कम मजदूरी में पाए जाते हैं.
क्योंकि इस सेवा का उपयोग करके एक व्यवसायी अपने व्यवसाय के मूल कार्य पर पूरा ध्यान दे सकता है, और व्यवसाय का दूसरा कम महत्वपूर्ण हिस्सा अनुबंध के आधार पर किसी तीसरे पक्ष को दे सकता है, जिससे उसका पूरा काम बहुत आसानी से हो जाता है.
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बीपीओ कितने प्रकार के होते है (What are the Types of BPO)
भारत में कई अलग-अलग कंपनियों के बीपीओ मौजूद हैं. लेकिन देखा जाए तो इसमें मुख्य रूप से तीन तरह के होते हैं. जो निम्नलिखित है.
- Offshore Outsourcing
- Onshore Outsourcing
- Nearshore Outsourcing
Offshore Outsourcing
Offshore Outsourcing उसे कहा जाता है जब कोई कंपनी लिखित अनुबंध के साथ किसी दूसरे देश की कंपनी को अपनी सेवा प्रदान करने का काम देती है.
Onshore Outsourcing
Onshore Outsourcing में काम करने वाला व्यक्ति और काम लेने वाला व्यक्ति यानी दोनों एक ही देश के होते है. यानी मान लीजिए उदाहरण के तौर पर भारत कि कंपनी भारत देश में काम करने वाली कंपनी के साथ ही कॉन्ट्रैक्ट करती है.
Nearshore Outsourcing
नियरशोर आउटसोर्सिंग तब होती है जब कोई कंपनी पड़ोसी देशों में स्थित कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए अनुबंध करती है.
बीपीओ में क्या करना होता है? जॉब के प्रकार
बीपीओ की मुख्य रूप से दो श्रेणियां हैं जिनके उपयोग से एक व्यवसाय अपनी गैर-प्रमुख गतिविधियों को तीसरे पक्ष को स्थानांतरित कर सकता है.
Front Office Outsourcing
व्यवसाय प्रक्रिया आउटसोर्सिंग की इस प्रक्रिया में व्यावसायिक कार्य शामिल हैं, जो ग्राहक से संबंधित कार्य हैं. यहां तीसरे पक्ष के कर्मचारियों को सामान्य संचार कौशल और विशिष्ट तकनीकी कौशल की आवश्यकता नहीं है. इसमें लोग आउटसोर्सिंग को कॉल सेंटर के रूप में भी परिभाषित करते हैं. जिसका मुख्य कार्य ग्राहक सहायता, तकनीकी सहायता या बिक्री आदि हैं.
Back Office Outsourcing
इस प्रक्रिया में आंतरिक व्यावसायिक कार्य शामिल हैं. इस प्रकार के प्रसंस्करण के लिए कई कार्यों को संभालने के लिए तीसरे पक्ष के कर्मचारियों में विशेष तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है. जिसका मुख्य कार्य वित्त और लेखा, मानव संसाधन, आईटी समाधान आदि है.
BPO और कॉल सेंटर में क्या अंतर है?
- कॉल सेंटर में केवल कॉल करना और कॉल लेना शामिल है लेकिन बीपीओ में मेल, मीटिंग, प्रिंटिंग, दस्तावेज और कॉल आदि शामिल हैं.
- बीपीओ का काम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया जा सकता है. लेकिन कॉल सेंटर ऑनलाइन ही किए जा सकते हैं.
- BPO में नौकरी पाने के लिए कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है जबकि कॉल सेंटर में कंप्यूटर और संचार कौशल का बुनियादी ज्ञान होना आवश्यक है.
- Call Center में अपने ग्राहकों की सेवा करना और उत्पादों को बढ़ावा देना आदि शामिल है. जबकि बीपीओ एक प्रणाली की तरह काम करता है जिसका उद्देश्य व्यवसाय को बढ़ाना है.
- बीपीओ की नौकरी में आईटी, फाइनेंस और बिलिंग आदि जैसे अलग-अलग विभाग होते हैं, लेकिन कॉल सेंटर में एक ही कॉलिंग डिपार्टमेंट होता है.
बीपीओ के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of BPO)
फायदे
- बीपीओ में ज्यादातर ऐसे विशेषज्ञ होते हैं जो कंपनी का काम बेहतर कर पाते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है.
- इसका फायदा यह है कि कंपनी को अपने छोटे-छोटे काम करवाने में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है, जिससे कंपनी अपने दूसरे काम पर ज्यादा ध्यान दे पाती है.
- बीपीओ में काम करने वालों को मिलता है , क्योंकि आज के समय में बहुत से लोग बीपीओ में काम करते हैं और अपना घर चलाते हैं. जो बेरोजगारी को कम करने में मदद करता है, यह इसका सबसे बड़ा फायदा है.
नुकसान
- बीपीओ चलाने वाली कंपनी आपके क्लाइंट की बहुत सारी जानकारी किसी अन्य कंपनी या आपके प्रतियोगी को भी बेच सकती है.
- इसका नुकसान यह है कि कंपनी इस काम के लिए पूरी तरह से किसी और पर निर्भर हो जाती है.
- कंपनी का डेटा या वह किस उत्पाद पर काम कर रहा है, यह जानकारी लीक हो सकती है, डेटा की गोपनीयता खोने का भी डर है.
बीपीओ के लिए योग्यता (Eligibility for BPO)
- बीपीओ के लिए कम से कम 12वीं, अंडर ग्रेजुएट, ग्रेजुएट पास होना चाहिए.
- आपका अच्छा कम्युनिकेशन स्किल होना चाहिए.
- बेसिक कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान हो
- आपको भाषाओं की अच्छी समझ होनी चाहिए.
बीपीओ कंपनी में नौकरी संभावनाएँ
- ऑपरेशन्स मैनेजमेंट (Operations Management)
- कंटेंट मैनेजमेंट (Content Management)
- रिसर्च एंड एनालिटिक्स (Research and Analytics)
- लीगल सर्विसेज (Legal Services)
- ट्रेनिंग एंड कंसल्टेंसी (Training & Consultancy)
- डाटा एनालिटिक्स (Data Analytics)
BPO Salary
अगर हम बीपीओ की सैलरी की बात करें तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप पार्ट टाइम करते हैं या फुल टाइम यदि आप फुल टाइम करते हैं तो आपको शुरुआती सैलरी 12 हजार से 18 हजार तक मिल सकती है. वहीं अगर आपके टैलेंट तथा अनुभव को देखते हुए आपको 20 हजार से 25 हजार तक सैलरी मिल सकती है.
FAQs Related to BPO
Question – BPO कितने प्रकार के होते है?
Answer – 1. Offshore Outsourcing
2. Onshore Outsourcing
3. Nearshore Outsourcing
Question – बीपीओ का फुल फॉर्म हिंदी में क्या है?
Answer – बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग या “व्यापार प्रक्रिया बाहरी स्रोत से सेवाएँ प्राप्त करना” होता है.
Question – बीपीओ का मराठी फुल फॉर्म क्या है?
Answer – BPO Full Form In Marathi “बिझनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग” होता है जिसका मराठी में मतलब (BPO Meaning In Marathi) भी यही होता है.
Question – BPO में सैलरी क्या होती है?
Answer – बीपीओ में शुरुआती सैलरी 12 हजार से 18 हजार तक मिल सकती है. वहीं अगर आपके टैलेंट तथा अनुभव को देखते हुए आपको 20 हजार से 25 हजार तक सैलरी मिल सकती है.
Question – बीपीओ सर्विस का फुल फॉर्म क्या है?
Answer – BPO बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग का संक्षिप्त नाम है, जिसका मतलब है कि BPO यह एक ऐसी आउटसोर्स प्रक्रिया है जिसमें थर्ड-पार्टी प्रोवाइडर को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर मैनेजमेंट में शामिल किया जाता है.
Conclusion
दोस्तों इस लेख में BPO Full Form – What are the Types of BPO? BPO Full Form in Hindi इससे जुडी जानकारी बताई है. जो इस प्रकार है –
- बीपीओ का फुल फॉर्म
- BPO Full Form in English
- बीपीओ फुल फॉर्म हिंदी में
- BPO Full Form In Marathi
- BPO क्या है?
- बीपीओ कितने प्रकार के होते है
- बीपीओ में क्या करना होता है? जॉब के प्रकार
- BPO और कॉल सेंटर में क्या अंतर है?
- बीपीओ के फायदे और नुकसान
- बीपीओ के लिए योग्यता
- BPO कंपनी में नौकरी संभावनाएँ
- BPO Salary
- FAQs Related to BPO
दोस्तों इस लेख में मैंने BPO Full Form – What are the Types of BPO? BPO Full Form in Hindi इससे संबंधित जानकारी से रूबरू कराया है. मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी.
अगर आपको यह जानकारी BPO Full Form जानने में उपयोगी लगती है, तो इस लेख को अपने दोस्तों तथा अन्य लोगों के साथ जितना हो सकें अधिक से अधिक शेयर करे. धन्यवाद.
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